भोपाल।साल 1971 में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाला टैंक टी-55 को अब लोग बेहद नजदीक से देख सकेंगे. भोपाल के शौर्य स्मारक परिसर में इस टी-55 टैंक को स्थापित किया गया है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस टैंक का लोकार्पण किया है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने द्रोणाचार्य सभागार में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम में जनरल ऑफिसर कमांडिंग सुदर्शन चक्र कोर प्रीतपाल सिंह, एनसीसी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल अजय कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.
रूस निर्मित टैंक ने युद्ध में निभाई भूमिका
टैंक टी-55 का उपयोग भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में किया गया था. टी-55 रूस निर्मित टैंक है. 1971 के युद्ध में इस टैंक से पाकिस्तान सैनिक दहशत में आ गए थे. इस टैंक की खासियत यह है कि यह दिन और रात दोनों ही समय लड़ने में सक्षम है. इस टैंक को भारतीय सेना में 1968 में शामिल किया गया था. 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो टैंक टी-55 ने पाकिस्तान के कई टैंकों को तबाह कर दिया. टैंक टी-55 की सटीक मारक क्षमता का तोड़ पाकिस्तान के पास नहीं था.
युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण में इस टैंक की महत्वपूर्ण भूमिका रही. 37 टन वजनी यह टैंक तेज गति से चलने में सक्षम है. इस टैंक पर एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी होती थी. यह टैंक भारतीय सेना में 2011 तक अपनी सेवाएं देता रहा.