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खाना खाने से पहले और बाद में कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल? जानें - BLOOD SUGAR LEVELS

ब्लड शुगर लेवल में खाना खाने के बाद उतार-चढ़ाव होना कॉमन है, ऐसे में जानें कि भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए...

What should be the blood sugar level before and after eating? Know in detail according to research
खाना खाने से पहले और बाद में कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल? जानें विस्तार से (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Jan 18, 2025, 7:42 PM IST

ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए प्राइमरी फ्यूल के रूप में काम करता है. ग्लूकोज एक प्रकार का शुगर है, जो कार्बोहाइड्रेट से बनता है. यह खून के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचता है और उन्हें एनर्जी देता है. शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए पैंक्रियाज इंसुलिन नामक हार्मोन बनाता है. इंसुलिन की मदद से ग्लूकोज कोशिकाओं में पहुंचता है. बता दें, इंसुलिन, एक हार्मोन है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है. ऐसे में नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें डायबिटीज है या जिन्हें इसके विकसित होने का खतरा है...

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के मुताबिक खानें के बाद और पहले ब्लड शुगर लेवल अलग-अलग होता है

नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल : अपने ब्लड शुगर लेवल को समझना अच्छी सेहत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. इससे आपको किसी भी असंतुलन की पहचान करने और उन्हें प्रबंधित करने के लिए उचित कदम उठाने में मदद मिलती है।

फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल: यह रात भर उपवास करने के बाद जांचा जाता है और यह 70 और 130 mg/dL (3.9 और 7.2 mmol/L) के बीच होना चाहिए…

भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल
CDC के अनुसार, खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल को पोस्टप्रैंडियल ग्लाइसेमिक लेवल कहा जाता है, आमतौर पर, खाना खाने के 2 घंटे के बाद ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dL से कम होना चाहिए. हेल्दी लोगों के लिए ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 130 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए. वहीं, डायबिटीज पेशेंट का ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 180 mg/dL तक हो सकता है. ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dL से अधिक होने पर कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है.

ब्लड शुगर लेवल की जांच क्यों जरूरी?
ब्लड शुगर लेवल की जांच करने से आपको यह पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या आप अपने ग्लूकोज लक्ष्यों को पूरा कर रहे हैं, जिससे हाई और लो ब्लड शुगर के अनकंफर्टेबल लक्षणों को कम करने और डायबिटीज के कंप्लिकेशन्स को रोकने में मदद मिल सकती है. ब्लड शुगर लेवल की जांच करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि ब्लड शुगर लेवल ना तो बहुत ज्यादा हो और ना ही बहुत कम, दोनों ही सेहत के लिए सही नहीं है.

ब्लड शुगर लेवल की जांच के कई कारण हैं...

डायबिटीज मैनेजमेंट: डायबिटीज मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका ब्लड शुगर लेवल हमेशा लक्ष्य सीमा के भीतर रहे ताकि न्यूरोपैथी, नेफ्रोपैथी और रेटिनोपैथी जैसी कंप्लिकेशन्स से बचा जा सके.

यदि आपको हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) है तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से हाई रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 180 mg/dL से ज्यादा रहेगा. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार इन सीमाओं से हाई है, तो आपको प्री-डायबिटीज या डायबिटीज हो सकता है. अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह हार्ट डिजीज, नर्व प्रॉब्लम्स और किडनी डिजीज जैसी गंभीर मेडिकल प्रॉब्लम का कारण बन सकता है.

हाइपोग्लाइसीमिया की रोकथाम: ब्लड शुगर लेवल की जांच इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) की कुछ गंभीर कंप्लिकेशन्स से बचा जा सकता है, अगर आपको लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) की समस्या है, तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 70 mg/dL से कम रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 60 mg/dL से कम रहेगा. आपकों लो ब्लड शुगर के कारण चक्कर आना, भ्रम, बेहोशी और दुर्लभ मामलों में दौरे पड़ सकते हैं.

वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए प्राइमरी फ्यूल के रूप में काम करता है. ग्लूकोज एक प्रकार का शुगर है, जो कार्बोहाइड्रेट से बनता है. यह खून के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचता है और उन्हें एनर्जी देता है. शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए पैंक्रियाज इंसुलिन नामक हार्मोन बनाता है. इंसुलिन की मदद से ग्लूकोज कोशिकाओं में पहुंचता है. बता दें, इंसुलिन, एक हार्मोन है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है. ऐसे में नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें डायबिटीज है या जिन्हें इसके विकसित होने का खतरा है...

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के मुताबिक खानें के बाद और पहले ब्लड शुगर लेवल अलग-अलग होता है

नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल : अपने ब्लड शुगर लेवल को समझना अच्छी सेहत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. इससे आपको किसी भी असंतुलन की पहचान करने और उन्हें प्रबंधित करने के लिए उचित कदम उठाने में मदद मिलती है।

फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल: यह रात भर उपवास करने के बाद जांचा जाता है और यह 70 और 130 mg/dL (3.9 और 7.2 mmol/L) के बीच होना चाहिए…

भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल
CDC के अनुसार, खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल को पोस्टप्रैंडियल ग्लाइसेमिक लेवल कहा जाता है, आमतौर पर, खाना खाने के 2 घंटे के बाद ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dL से कम होना चाहिए. हेल्दी लोगों के लिए ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 130 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए. वहीं, डायबिटीज पेशेंट का ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 180 mg/dL तक हो सकता है. ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dL से अधिक होने पर कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है.

ब्लड शुगर लेवल की जांच क्यों जरूरी?
ब्लड शुगर लेवल की जांच करने से आपको यह पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या आप अपने ग्लूकोज लक्ष्यों को पूरा कर रहे हैं, जिससे हाई और लो ब्लड शुगर के अनकंफर्टेबल लक्षणों को कम करने और डायबिटीज के कंप्लिकेशन्स को रोकने में मदद मिल सकती है. ब्लड शुगर लेवल की जांच करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि ब्लड शुगर लेवल ना तो बहुत ज्यादा हो और ना ही बहुत कम, दोनों ही सेहत के लिए सही नहीं है.

ब्लड शुगर लेवल की जांच के कई कारण हैं...

डायबिटीज मैनेजमेंट: डायबिटीज मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका ब्लड शुगर लेवल हमेशा लक्ष्य सीमा के भीतर रहे ताकि न्यूरोपैथी, नेफ्रोपैथी और रेटिनोपैथी जैसी कंप्लिकेशन्स से बचा जा सके.

यदि आपको हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) है तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से हाई रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 180 mg/dL से ज्यादा रहेगा. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार इन सीमाओं से हाई है, तो आपको प्री-डायबिटीज या डायबिटीज हो सकता है. अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह हार्ट डिजीज, नर्व प्रॉब्लम्स और किडनी डिजीज जैसी गंभीर मेडिकल प्रॉब्लम का कारण बन सकता है.

हाइपोग्लाइसीमिया की रोकथाम: ब्लड शुगर लेवल की जांच इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) की कुछ गंभीर कंप्लिकेशन्स से बचा जा सकता है, अगर आपको लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) की समस्या है, तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 70 mg/dL से कम रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 60 mg/dL से कम रहेगा. आपकों लो ब्लड शुगर के कारण चक्कर आना, भ्रम, बेहोशी और दुर्लभ मामलों में दौरे पड़ सकते हैं.

वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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