दिनेश डांगी, सीआई, साइबर थाना (ETV Bharat Jodhpur) जोधपुर: साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस जिस गति से काम कर रही है और नई तकनीक का उपयोग बढ़ा रही है, उसी रफ्तार से साइबर ठग भी अपडेट हो रहे हैं. पुलिस साइबर ठगी का कोई तोड़ निकालती है तो साइबर ठग भी नया रास्ता निकाल रहे हैं. ओटीपी, यूपीआई के जरिए बैंक खाते से ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करवा ठगी करने की वारदातों में पुलिस द्वारा खाता ब्लॉक कर देने से वे राशि निकाल नहीं पाते थे, लेकिन अब ठगों ने इसका भी हल निकाल लिया है.
साइबर ठग ठगी की राशि को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर फर्जी खातों में रुपये ट्रांसफर कर कुछ ही घंटों में निकाल लेते हैं. इतना ही नहीं, कमीशन का लालच देकर लोगों के खातों में मोटी रकम ट्रांसफर कर नकदी उठाकर भी उसका उपयोग यूएसडीटी (यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी) में करने लगे हैं, जो पुलिस के नई परेशानी का सबब बनता जा रहा है. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं.
हाल ही में पुलिस ने ऑपरेशन एंटी वायरस के तहत कार्रवाई करते हुए कमीशन के लालच में बैंक खाते किराए पर लेकर ठगी का पैसा क्रिप्टो करेंसी में बदलकर ठगों को ट्रांसफर करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जोधपुर साइबर थाना प्रभारी एसीपी जयराम मुंडेल के अनुसार हमें तीन युवकों के साइबर ठग गिरोह से जुड़े और किराए के बैंक खातों से रुपये निकालकर क्रिप्टो करेंसी खरीदने की सूचना मिली.
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इस पर पुलिस निरीक्षक दिनेश डांगी व एएसआई कान सिंह ने साइबर थाने की टीम के साथ फलोदी के रड़कापुरा पड़ियाल निवासी अशोक कुमार (25), बाप के सोनलपुरा निवासी गिरधारीराम (20) और बीकानेर में नगरासर कलाणियों की ढाणी निवासी प्रदीप कुमार (20) को गिरफ्तार किया गया. पड़ताल में सामने आया कि तीनों गिरोह बनाकर घूमते हैं. इनके साइबर ठगों से कांटैक्ट हैं, जिनके लिए ये खाते जुटाकर देते हैं. इनसे पुलिस ने 18 मोबाइल, 26 आधार कार्ड, 46 डेबिट कार्ड, दो चेक बुक व 4 लाख 9700 रुपये नकद बरामद किए. मोबाइल और खातों की जांच हो रही है.
ब्लैक मनी व्हाइट मनी हो जाती है : पूछताछ में सामने आया कि साइबर ठग नकद में यूएसडीटी खरीदने बाद उसे महंगे दामों पर बेचते हैं. नकद में खरीदी गई क्रिप्टो करेंसी का ट्रांजैक्शन ऑनलाइन होता है, जिसे बेचने के बाद राशि उनके खाते में आ जाती है. देश में क्रिप्टो करेंसी खरीद पर बैन नहीं है. ऐसे में बैंक में व्हाइट मनी के रूप में जमा होती है, क्योंकि इस मनी का सोर्स उनका खाता नहीं होता है, बल्कि किराए का खाता होता है. कार्रवाई पहले वहां होती. तब तक इस राशि को आगे देकर 30 प्रतिशत तक कमीशन कमा लेते हैं.
ग्रामीण युवा हो रहे गिरोह में शामिल, निशाना भी ग्रामीणों को बना रहे : साइबर पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि इस तरह के मामले में ज्यादातर युवा जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं. जब उनसे खाते मांगे जाते हैं तो वे स्टूडेंट्स, निजी नौकरी करने वाले और अन्य ग्रामीणों को लालच देकर खाते लाते हैं, जिनका उपयोग फ्राडर करते हैं. बदले में कमीशन मिलता है. धीरे-धीरे यह युवा खुद भी जालसाजी करना शुरू कर देते हैं.
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साइबर फ्रॉड ऐसे करते हैं फ्रॉड मनी का उपयोग : फ्राडर पहले लिंक भेज एक ऐप डाउनलोड करवाते हैं. उसके बाद जो खाता लिया है, उसमे फ्रॉड का पैसा डाल
ट्रांसफर करते हैं, जिसको वे क्रिप्टो करेंसी (यूएसडीटी) में निवेश करते हैं. फ्रॉड के पैसों से नकद में भी क्रिप्टो करेंसी खरीद कर अन्य देशों के व्यक्तियों को आसानी से भेज दी जाती है. जो पैसा खातों में जमा होता है, उसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई शुरू होती है, लेकिन तब तक रकम देश से बाहर जा चुकी होती है. यह पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है. ऐसे मामलों में खरीदने वाला और बेचने वाला दोनों पुलिस के रडार पर आते हैं.
क्या है यूएसडीटी क्रिप्टो ? देश में नहीं है नियम : USDT यानि यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी एक डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टो करेंसी) है जिसकी कीमत अमेरिकी डॉलर के बराबर रखी गई है. भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए खरीदा जा सकता है. ऐसे कई एप्लीकेशन हैं, जिसके माध्यम से लेनदेन हो रहा है, लेकिन देश में अभी क्रिप्टो करेंसी से जुड़े विवादों को निपटाने के लिए कोई नियम और विनियम या कोई दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं है. जिसकी वजह से साइबर ठग इसका इस्तेमाल कर रहे है.