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पॉक्सो से जुड़े मामले समझौते के आधार पर नहीं हो सकते रद्द: सुप्रीम कोर्ट - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एक पॉक्सो मामले में कहा है कि पॉक्सो से जुड़े मामले समझौते के आधार पर रद्द नहीं हो सकते हैं.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 7, 2024, 10:37 PM IST

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की नाबालिग स्कूल छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में कहा है कि बच्चों के साथ हुए गंभीर अपराधों को पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 4 फरवरी, 2022 के उस आदेश को भी गलत मानकर निरस्त कर दिया, जिसमें नाबालिग छात्रा के परिवार और आरोपी शिक्षक के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द किया गया था. जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता के गांव के एक निवासी की याचिका पर दिए.

अदालत ने अपने आदेश में एक अमेरिकी कवि की लिखी पंक्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि फटी हुई जैकेट को जल्द ठीक किया जा सकता है, लेकिन एक बच्चे का घायल दिल फिर से जीवित नहीं हो सकता. यह लड़की के मामले में और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है. मामले के अनुसार 15 साल की स्कूली छात्रा से यौन शोषण के मामले में आरोपी शिक्षक के खिलाफ छात्रा के पिता ने सवाई माधोपुर जिले के संबंधित पुलिस थाने में 8 जनवरी, 2022 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

पढ़ें: नाबालिग को अगवा करके दुष्कर्म करने के मामले में आरोपी को 20 वर्ष की सजा, 62 हजार का जुर्माना भी लगाया

इसमें शिक्षक पर यौन दुराचार व दुर्व्यवहार के आरोप लगाए गए. वहीं बाद में आरोपी शिक्षक व छात्रा के परिजनों ने हाईकोर्ट में आपसी समझौते के आधार पर इस मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया. जिस पर हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया था. इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि इससे तो शिक्षक कार्रवाई से बच जाएगा व अन्य के लिए भी यह मिसाल बनेगा. ऐसे अपराध पूरे समाज को प्रभावित करते हैं और इन्हें पक्षकारों के बीच में हुए आपसी समझौते से खत्म नहीं कर सकते.

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की नाबालिग स्कूल छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में कहा है कि बच्चों के साथ हुए गंभीर अपराधों को पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 4 फरवरी, 2022 के उस आदेश को भी गलत मानकर निरस्त कर दिया, जिसमें नाबालिग छात्रा के परिवार और आरोपी शिक्षक के बीच हुए आपसी समझौते के आधार पर मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द किया गया था. जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता के गांव के एक निवासी की याचिका पर दिए.

अदालत ने अपने आदेश में एक अमेरिकी कवि की लिखी पंक्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि फटी हुई जैकेट को जल्द ठीक किया जा सकता है, लेकिन एक बच्चे का घायल दिल फिर से जीवित नहीं हो सकता. यह लड़की के मामले में और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है. मामले के अनुसार 15 साल की स्कूली छात्रा से यौन शोषण के मामले में आरोपी शिक्षक के खिलाफ छात्रा के पिता ने सवाई माधोपुर जिले के संबंधित पुलिस थाने में 8 जनवरी, 2022 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

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इसमें शिक्षक पर यौन दुराचार व दुर्व्यवहार के आरोप लगाए गए. वहीं बाद में आरोपी शिक्षक व छात्रा के परिजनों ने हाईकोर्ट में आपसी समझौते के आधार पर इस मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया. जिस पर हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया था. इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि इससे तो शिक्षक कार्रवाई से बच जाएगा व अन्य के लिए भी यह मिसाल बनेगा. ऐसे अपराध पूरे समाज को प्रभावित करते हैं और इन्हें पक्षकारों के बीच में हुए आपसी समझौते से खत्म नहीं कर सकते.

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