जयपुर: राजधानी जयपुर के आमेर में सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा बड़ी धूमधाम मनाया जा रहा है. गुरुवार को आमेर के तालाब और नदी के तट पर छठ पूजा की गई. आमेर में रहने वाले लोगों में भी छठ पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. गुरुवार शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. जयपुर शहर के विभिन्न इलाकों से भी लोग आमेर मावठा पर छठ पूजा करने के लिए पहुंचे. शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाएगा. इसी के साथ पूजा का समापन होगा.
आमेर में गुरुवार से छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. छठ पूजा को लेकर इस बार पुरातत्व विभाग की ओर से आमेर मावठा पर पूजा करने के लिए 3 दिन की अनुमति दी गई है. आमेर मावठा में 7 साल बाद छठ पूजा की जा रही है. सुरक्षा की दृष्टि से 2018 में छठ पूजा बंद कर दी गई थी. चार दिवसीय छठ पर्व के अवसर पर छठ व्रत में महिलाएं पवित्र स्नान, उपवास और निर्जल, लंबे समय तक पानी में खड़े रहना, प्रसाद, प्रार्थना और सूर्य देवता को अर्घ्य देने का कार्य करती है. आमेर और आसपास के क्षेत्र में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 45 हजार से भी ज्यादा लोग रहते हैं. वे आज भी अपनी संस्कृतियों को संजोये हुए हैं.
छठ पूजा में दूसरे दिन खरना तैयार किया जाता है. खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी मैय्या का प्रसाद तैयार करती हैं. खरना में गुड़ की खीर बनाने का रिवाज है. यह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. व्रती महिलाएं प्रसाद के रूप में सबसे पहले इस खीर को ही ग्रहण करती हैं. उसके बाद इसे लोगों में बांटा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विधिवत पूजा का भी विधान है. छठ पूजा प्राचीन काल से ही स्वच्छता का संदेश देती आ रही है. इस पर्व में व्रती महिलाएं शुद्ध प्रसाद बनाती हैं, जिसे सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है.
आमेर के मावठा सरोवर में 7 साल बाद फिर से छठ पूजा शुरू हो रही है. पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से 7 साल पहले वर्ष 2018 में मावठा में छठ पूजा पर रोक लगा दी थी. मैथिली समाज की मांग को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने तीन दिन के लिए छठ पूजा की अनुमति दी है. लेकिन नियमों की पालना करना जरूरी होगा. छठ पूजा 7 नवंबर की शाम से शुरू होकर 8 नवंबर की सुबह तक चलेगी. 6 से 8 नवंबर तक 3 दिन की अनुमति जारी की गई है.
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मैथिल परिषद के अध्यक्ष दिलीप कुमार झा ने बताया कि आमेर में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 45 हजार से भी ज्यादा लोग रहते हैं. छठ पूजा मैथिली समाज का मुख्य त्योहार माना जाता है. जगह नहीं होने के कारण मजबूरी में लोग इसे घर में ही मनाने लगे थे. इसलिए पुरातत्व विभाग से इसकी अनुमति मांगी गई थी और विभाग ने छठ पूजा के लिए 3 दिन की अनुमति दी है. पुरातत्व विभाग की शर्तों के अनुसार मैथिली समाज की ओर से मावठे को साफ कराया जाएगा. शाम को 6 बजे बाद तेज आवाज में संगीत और पटाखे चलाने की चलाने की अनुमति नहीं है.
आमेर महल अधीक्षक राकेश छोलक ने बताया कि इस बार छठ के अवसर पर आमेर के मावठा सरोवर पर पूजा अर्चना करने की अनुमति दी गई है. करीब 7 साल बाद आमेर के मावठा में छठ की पूजा अर्चना करने की अनुमति दी गई है. पहले वर्ष 2017 तक आमेर मावठा सरोवर में छठ की पूजा अर्चना की जाती थी. वर्ष 2018 में मावठा सरोवर में मगरमच्छ दिखने की वजह से छठ पूजा बंद कर दी गई थी. उसके बाद मैथिली समाज की मांग पर पुरातत्व विभाग के निदेशक से इस संबंध में चर्चा की गई.
मावठा में मौजूद मगरमच्छ को वन विभाग की ओर से रेस्क्यू करके अन्य जल स्रोत में छोड़ दिया गया. अब मावठा सरोवर में मगरमच्छ नहीं है. ऐसे में मैथिली समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मावठा पर पूजा अर्चना की अनुमति जारी की गई है. लाइट एंड साउंड शो का ध्यान रखते हुए मैथिली समाज को पाबंद किया गया है कि तेज साउंड और शोर शराबा नहीं करें. शाम 6:00 बजे बाद किसी प्रकार की आतिशबाजी नहीं करें. पूजा अर्चना का कार्यक्रम शाम 6 बजे तक समापन करें, ताकि लाइट एंड साउंड शो में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो.