पटनाः'मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं, मुंह फेर लिया ऐसे जैसे जानते नहीं', यह पंक्ति बिहार के अतिथि शिक्षकों के हाल को बता रहा है. 31 मार्च के बाद अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी. यानि एक अप्रैल से शिक्षक बेरोजगार हो जाएगे. इसको लेकर अतिथि शिक्षकों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. कहा कि सरकार को काम निकल गया तो आज हमलोगों को बेरोजगार कर रही है.
'सरकार कर रही बेरोजगार':गोपालगंज के एक प्लस टू विद्यालय के अतिथि शिक्षक कुमार संजीव ने बताया कि जब उन्होंने विद्यालय में योगदान किया था उनकी उम्र 29 वर्ष थी. आज 35 वर्ष है. एसटीइटी की परीक्षा में शामिल होने के लिए उनकी उम्र बची नहीं है. आज सरकार उन्हें बेरोजगार कर रही है. प्रदेश में जब उच्च शिक्षा की हालत खराब थी.
शिक्षा का स्तर सुधाराः उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट का रिजल्ट खराब आ रहा था, उस समय सरकार ने उनकी बहाली की थी. 6 वर्षों में विद्यालय में जाकर बंद विद्यालय को खुलवाकर शैक्षणिक गतिविधियां शुरू की. इंटरमीडिएट का रिजल्ट सुधार और बीते तीन-चार वर्षों से बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर इंटरमीडिएट रिजल्ट की बेहतरीन पर राष्ट्रीय फलक पर जाकर अवार्ड ले रहे हैं.
"6 वर्षों में चुनावी ड्यूटी, जल जीवन हरियाली ड्यूटी, जनगणना में ड्यूटी, मैट्रिक और इंटरमीडिएट के उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन ड्यूटी की है. कोरोना महामारी में क्वॉरेंटाइन सेंटर में ड्यूटी की. सरकार जब मुसीबत में सेवा दी है. शिक्षा मंत्री समायोजित करने का आश्वासन दिया. नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि अतिथि शिक्षक अतिथि नहीं रहेंगे और समायोजित होंगे. आज सरकार का सब मतलब निकल गया, बीपीएससी से नए शिक्षकों की बहाली हुई है हमलोगों को निकाला जा रहा है."- कुमार संजीव, अतिथि शिक्षक, गोपालगंज
'41 वर्ष की आयु कहां मिलेगी नौकरी': सिवान के अतिथि शिक्षक बृज किशोर कुमार बताते हैं कि 35 वर्ष की उम्र में उन्होंने अतिथि शिक्षक के तौर पर विद्यालय में योगदान दिया था. आज 6 वर्ष बाद 41 वर्ष की आयु में उन्हें सेवा से सरकार बिना किसी कारण सेवामुक्त कर रही है. इनकी उम्र किसी नौकरी के लिए नहीं रही है. सरकार उन्हें सक्षमता परीक्षा में बैठने का मौका देकर समायोजित कर सकती थी. सरकारी विद्यालयों में उन लोगों ने मेहनत करके शिक्षा के गुणवत्ता को सुधार और इंटरमीडिएट परीक्षा के रिजल्ट को बेहतर किया.