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कोल्हान में चंपाई के विकल्प की तलाश में झामुमो, शिबू-हेमंत के चेहरे पर पार्टी को भरोसा, सेकंड लाइन में हैं ये नाम - Champai Soren

Jharkhand Mukti Morcha. झारखंड मुक्ति मोर्चा कोल्हान में चंपाई सोरेन के विकल्प की तलाश में हैं. कोल्हान में जेएमएम के पास कई बड़े नाम हैं, लेकिन शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के चेहरे पर ही पार्टी को ज्यादा भरोसा है. वैसे सेकंड लाइन में में कई नाम शामिल है, जो चंपाई सोरेन की जगह ले सकते हैं.

alternative to Champai Soren in Kolhan
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 28, 2024, 5:01 PM IST

रांची: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपाई सोरेन को अपनी ओर लाकर एक बड़ा दांव चल दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा में शामिल कराकर संथाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा को झटका देने की नाकाम कोशिश कर चुकी भारतीय जनता पार्टी ने इस बार कोल्हान टाइगर को ही आने खेमे में कर विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो और हेमंत सोरेन को कमजोर करने की कोशिश की है.

जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता प्रो. अशोक कुमार सिंह (ईटीवी भारत)


ऐसे में सवाल उठता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास कोल्हान में चंपाई सोरेन का विकल्प क्या है? वे कौन-कौन नेता हो सकते हैं जिस पर भरोसा कर हेमंत सोरेन आगे बढ़ सकते हैं. कोल्हान इसलिए भी झामुमो के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस इलाके की 14 विधानसभा सीट में से एक भी भाजपा के पास नहीं है. 2019 में भाजपा का इस पूरे इलाके से सफाया हो गया था.

निर्दलीय विधायक सरयू राय जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था, उन्हें छोड़ भी दें तो बाकी के 13 सीटें महागठबंधन के दल कांग्रेस और झामुमो के पास है. ऐसे में अब जब चंपाई सोरेन के झामुमो छोड़ भाजपा में जाने की विधिवत घोषणा हो चुकी है, तब हर किसी के मन में यही है कि चम्पाई सोरेन का विकल्प कौन?

राज्यभर के साथ साथ कोल्हान में भी हमारा चेहरा-शिबू-हेमन्त-JMM

चंपाई सोरेन का कोल्हान में विकल्प कौन? इस सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने ETV BHARAT से फोन पर बातचीत में कहा कि संगठन और कार्यकर्ता ही किसी को बड़ा नेता बनाता है. निर्विवाद रूप से दिशोम गुरु शिबू सोरेन और युवा नेता हेमंत सोरेन का चेहरा ही कोल्हान के लिए काफी है. उन्होंने कहा कि हमें चंपाई सोरेन के विकल्प तलाशने की कोई जरूरत ही नहीं है.

वहीं, पार्टी के एक अन्य केन्द्रीय प्रवक्ता प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि कोल्हान की जनता ने झामुमो के साथ मिलकर राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी है. झारखंड में एक नहीं बल्कि सेकंड लाइन के नेताओं की भरमार है.

आइए ! एक नजर डालते हैं, उन नेताओं के नाम पर जो चंपाई सोरेन का विकल्प बन सकते हैं

दीपक बिरुआ: चंपाई सोरेन कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं. शिबू सोरेन के साथ राजनीति करने वाले चंपाई सोरेन के विकल्प की बात करें तो पहला नाम राज्य में वर्तमान परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ का है. तीन बार से लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे दीपक बिरुआ की सोच और उनके विचार क्रिस्टल क्लियर हैं.

वह आदिवासी मूलवासी के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहने वाले और झारखंडी मामलों के अच्छे जानकार भी हैं. हो जनजाति से आने की वजह से दीपक बिरुआ झामुमो के साथ-साथ महागठबंधन छोड़ जाने वाली कांग्रेस की पूर्व सांसद गीता कोड़ा के वोट बैंक को भी साध सकते हैं. इसके साथ-साथ उनका अन्य नेताओं की अपेक्षा युवा और मेहनती होना चंपाई का विकल्प बनने में उन्हें बाकी नेताओं से आगे करता है.

रामदास सोरेन: घाटशिला से दो बार से विधायक रामदास सोरेन में भी पार्टी चंपाई सोरेन का विकल्प तलाश सकती है. रामदास सोरेन का चंपाई सोरेन की तरह संथाली आदिवासी होना जहां संथाल वोटरों में उनकी पकड़ को मजबूत कर सकता है तो एक बात उनके खिलाफ जाता है वह है उनका स्वास्थ्य. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद रामदास सोरेन अब राजनीति में चंपाई सोरेन के भाजपा में जाने से हुए नुकसान को पूरा करने के लिए ज्यादा भागदौड़ नहीं कर सकते.

जोबा मांझी: कोल्हान की कद्दावर महिला नेता, पूर्व में कई बार संयुक्त बिहार के जमाने से 2024 तक कैबिनेट मंत्री रहीं जोबा मांझी फिलहाल सिंहभूम सीट जीत कर लोकसभा सांसद हैं. सांसद होने के बावजूद कोल्हान में चंपाई की वजह से हुए राजनीतिक नुकसान को डैमेज कंट्रोल करने में वह अहम भूमिका निभा सकती हैं.

लंबे दिनों से झामुमो के साथ रहीं जोबा मांझी पर हेमंत सोरेन को काफी भरोसा भी रहता है. यही वजह है कि कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदल कर भाजपा में चले जाने के बाद सिंघभूम सीट जेएमएम की झोली में आया तो हेमंत सोरेन का जोबा मांझी पर भरोसा और बढ़ गया. इसके अलावा चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव जो पश्चिम सिंहभूम में संगठन भी देख रहे हैं वह भी कोल्हान में झामुमो के संकटकाल में चंपाई का विकल्प हो सकती हैं.

चंपाई मामले में पार्टी फूंक-फूंक कर आगे रख रही है कदम

पार्टी के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि कोल्हान में चंपाई सोरेन के विकल्प को लेकर पार्टी चिंतित नहीं है. विधानसभा चुनाव का समय नजदीक है इसलिए पार्टी कोई भी ऐसा कदम अपने स्तर से नहीं उठा रही जिससे चंपाई सोरेन को यह मौका मिले कि वह राजनीतिक रूप से शहीद हुए हैं. यही वजह है कि लंबे समय से रांची, सरायकेला, कोलकाता से लेकर दिल्ली तक पार्टी विरोधी कार्य और बयानबाजी के बावजूद अभी भी वह हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और पार्टी के उपाध्यक्ष भी.

जानकर बताते हैं कि झामुमो का स्टैंड साफ है कि वह खुद मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा दें, पार्टी उन पर कार्रवाई नहीं करेगी. यही वजह है कि अभी तक झामुमो के प्रवक्ताओं की ओर से भी चंपाई सोरेन पर आक्रामक हमला नहीं किया गया है जैसा कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता कुछ दिन पहले कर चुके हैं.

चंपाई सोरेन की जासूसी की बात गलत और राजनीति से प्रेरित- JMM

आज असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा सोशल मीडिया पर आकर चंपाई सोरेन की जासूसी कराने के आरोप को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राजनीति से प्रेरित करार दिया. केंद्रीय प्रवक्ता प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि जो लोग आरोप लगा रहे हैं उनको उसका सबूत भी दिखाना चाहिए.

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