रांची: झारखंड राज्य आजीविका मिशन की एक चिट्ठी ने लंबे समय से कार्यरत 105 एचजीएम कर्मचारियों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है. ये कर्मचारी लंबे समय से विभाग के द्वारा संचालित एनआरएलएम प्रोजेक्ट के तहत एचजीएम यानी होम ग्राउंड मॉडल के पद पर कार्यरत थे. 2013 में राज्य के 8 जिलों में इसकी शुरूआत हुई थी.
वर्तमान में 5 जिलों के 14 प्रखंडों में 105 कर्मचारी कार्यरत हैं. इन कर्मचारियों को हर साल सेवा विस्तार देकर जेएसएलपीएस के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में काम लिया जाता रहा है मगर विभाग द्वारा जारी चिट्ठी ने एक झटके में इनकी सेवा समाप्त करने का निर्देश दिया है. झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन समिति (जेएसएलपीएस) के द्वारा चिट्ठी के अनुसार 01 अप्रैल 2025 से इनकी सेवा समाप्त मानी जाएगी.
जेएसएलपीएस के खिलाफ आंदोलन पर उतरे एचजीएम कर्मचारी
जेएसएलपीएस के इस फरमान के खिलाफ राज्य के एचजीएम कर्मचारी गोलबंद होने लगे हैं. शुक्रवार तीन जनवरी को राजधानी के हरमू पटेल हॉल में जुटे कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की और सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया है. झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह के नेतृत्व में हुए इस सम्मेलन में सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है. सुनील साह ने कहा कि वे लोग न केवल जेएसएलपीएस का घेराव करेंगे बल्कि ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय के आवास पर कर्मचारी भूख हड़ताल करने को विवश हो जाएंगे. उन्होंने ये भी कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक जेएसएलपीएस के द्वारा जारी चिट्ठी को निरस्त नहीं किया जाता है.
महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि कर्मचारियों को सरकार पर भरोसा है. लेकिन एक तरफ समायोजन की बात चल रही थी, वहीं दूसरी ओर 105 कर्मचारियों को हटाने की बात कहीं ना कहीं नए साल में इनके लिए चिंता का सबब बना हुआ है.
इसका समायोजन होना चाहियेः आशीष रंजन
झारखंड राज्य आजीविका एचजीएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आशीष रंजन ने कहा कि गोड्डा, बोकारो, लोहरदगा, खूंटी और गुमला जिले के 14 प्रखंडों में कार्यरत सभी 105 एमजीएच कर्मचारियों का समायोजन के बजाय हमें हटाने का आदेश दिया गया है. विगत 14-15 सालों से हम कार्यरत हैं और उम्र के इस पड़ाव में आखिर हम कहां जाएं. जाहिर तौर इसके विरोध में हम सभी एमजीएच कर्मचारी आंदोलन के लिए मजबूर हो जायेंगे.
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