गया: बिहार के इमामगंज विधानसभा चुनाव मुख्य केंद्र बिंदु में है. मुख्य केंद्र बिंदु में इसलिए है, क्योंकि यहां से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझीकी प्रतिष्ठा दांव पर है. अब तक जीतन राम मांझी पिछले दो बार से इस विधानसभा से जीतते आ रहे हैं. इस बार लोकसभा का चुनाव उन्होंने जीता और उपचुनाव में अपनी बहू दीपा मांझी को मैदान में उतारा है. दीपा मांझी के पति यानि संतोष मांझी बिहार सरकार में मंत्री हैं. वहीं, ससुर जीतन राम मांझी भारत सरकार में मंत्री हैं.
इमाममगंज में दांव पर मांझी की प्रतिष्ठा: वहीं, उनके सामने राजद प्रत्याशी के रूप में रोशन मांझी हैं. राजद ने रोशन मांझी को भरोसा कर टिकट दिया है. रोशन मांझी को टिकट मिलने का मुख्य आधार यह है, कि वर्ष 2010 में हुए उदय नारायण चौधरी से मात्र 1211 मतों से हार गए थे. हालांकि, रोशन मांझी अब भी यही कहते हैं, कि वे हारे नहीं थे, उन्हें हराया गया था.
सिर्फ 1211 मतों से हारे थे रोशन मांझी: रोशन मांझी वर्ष 2010 में राजद से प्रत्याशी थे. उनके सामने जदयू प्रत्याशी के रूप में उदय नारायण चौधरी थे. मुकाबला काफी टक्कर का था. इस महा मुकाबले में उदय नारायण चौधरी हारते-हारते बचे थे. उन्हें सिर्फ 1211 मतों से जीत मिली थी. हालांकि रोशन मांझी का तब भी यह आरोप था, कि उन्हें चुनाव हराया गया है. ऐसा वे आज भी कहते हैं.
इस बार लोकल और बाहरी मुद्दा बन रहा: इस बार लोकल और बाहरी मुद्दा बन रहा है. राजद से रोशन मांझी लोकल कैंडिडेट हैं, तो दीपा मांझी को लोग बाहरी बता रहे हैं. यह धीरे-धीरे मुद्दा बनता जा रहा है. इससे भी बड़ा मुद्दा परिवारवाद का है. जीतन राम मांझी ने अपने नेताओं- कार्यकर्ताओं पर भरोसा करने के बजाय अपनी बहू दीपा मांझी पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दे दिया. इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं-नेताओं में अंदरूनी नाराजगी है.
राजनीतिक पंडित भी आकलन लगाने से कतरा रहे:राजनीतिक पंडित भी आकलन लगाने से कतरा रहे हैं. क्योंकि रोशन मांझी भी स्थानीय लोकल कैंडिडेट के रूप में खासे लोकप्रिय हैं. यही वजह थी, कि जब उदय नारायण चौधरी राजनीति की ऊंचाइयों को छू रहे थे, तो उस समय रोशन मांझी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी और मात्र 1211 मतों से रोशन मांझी 2010 में इमामगंज विधानसभा से चुनाव हार गए थे.
2010 में रोशन मांझी को 42915 वोट मिले: 2010 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो उदय नारायण चौधरी को जदयू प्रत्याशी के रूप में 44126 वोट मिले थे. वहीं, रोशन मांझी को 42915 वोट मिले थे. इस तरह से रोशन मांझी 1211 वोट से चुनाव हार गए थे. मामला काफी नजदीकी था. उस समय रोशन मांझी ने हार के बाद मामले को काफी तूल दिया था और कहा था, कि उन्हें चुनाव हराया गया है. उस चुनाव की कसक रोशन मांझी 2024 के विधानसभा उपचुनाव में निकालने के लिए जी तोङ मेहनत कर रहे हैं.
'मैं तब भी चुनाव नहीं हारा था':वही, इमामगंंज विधानसभा उपचुनाव में राजद के प्रत्याशी रोशन मांझी का कहना है, कि मैं 2010 में भी राजद से चुनाव लड़ा था, लेकिन मुझे उस चुनाव में साजिश के तहत हरा दिया गया था. रोशन मांझी कहते हैं कि तब भी मैं चुनाव नहीं हारा था और अब भी मैं चुनाव जीतूंगा. क्योंकि जनता मुझे जीता रही है. वह बताते हैं, कि मैं एक किसान परिवार से हूं. आज भी कोई काम करता हूं, तो वह समाज सेवा ही है.
शिक्षिका पत्नी बनी है सहारा: रोशन मांंझी बताते हैं, कि उन्हें 2010 के विधानसभा चुनाव में जनता ने मौका दिया, लेकिन साजिश के तहत उसे छीन लिया गया. इसकी कसक जरूर है, लेकिन इस बार उस कसक को जरूर दूर कर दूंगा. रोशन मांझी बताते हैं, कि उनकी पत्नी शिक्षिका है. पत्नी शिक्षिका है, इसलिए घर गृहस्थी अच्छी तरीके से चल रही है और उनके पास बाप दादा की खेती के अलावा कोई रोजगार नहीं है. यदि कोई रोजगार है, तो वह समाज सेवा ही है.