जींद:मिनी सचिवालय स्थित बीडीपीओ कार्यालय में विकास ग्रांट वितरण को लेकर आयोजित बैठक में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. हंगामा इतना बढ़ गया कि बीडीपीओ नरेश शर्मा को मौके पर पुलिस को बुलाना पड़ा. सूचना पाकर डीएसपी उमेद सिंह और सिटी थाना प्रभारी ईश्वर सिंह दलबल के साथ मौके पर पहुंचे. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हंगामा शांत करने का प्रयास किया.
जानिए क्या है आरोप:विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि विकास कार्यों की ग्रांट पास करने के लिए बीडीपीओ कार्यालय में बुधवार सुबह 10 बजे बैठक बुलाई गई थी, लेकिन दोपहर 12 बजे तक भी सदस्यों का कोरम पूरा ना होने के कारण मीटिंग की शुरुआत नहीं हो पाई. विपक्षी सदस्यों का कहना था कि मीटिंग के कोरम के हिसाब से 13 मेंबर की उपस्थिति जरूरी है, लेकिन मौके पर 11 ही सदस्य मौजूद थे. कोरम पूरा ना होते देख सत्ता पक्ष ने अधिकारियों के साथ मिलकर गैरहाजिर सदस्यों के फर्जी साइन करके का कोरम पूरा किया.
नियमानुसार मीटिंग का सही रूप से संचालन चल रहा था. दो-तीन सदस्य बार-बार मीटिंग में अड़चन डालकर मीटिंग को कैंसिल करवाना चाहते थे. कई सदस्य बाहर खड़े होकर सदस्यों को मीटिंग में जाने से रोक रहे थे. नियमनानुसार एजेंडा निकालकर ग्रांट वितरण के लिए मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग में 25 में से 13 सदस्य पहुंचे थे. 13 सदस्य बैठक का कोरम पूरा करते हैं. सदस्यों के फर्जी साइन और हाथापाई के आरोप निराधार हैं. -नरेश शर्मा,बीडीपीओ
पहले भी कर चुके हैं बैठक में फर्जी साइन:आरोप के मुताबिक फर्जी साइन का विरोध करने पर दोनों पक्षों में धक्का मुक्की की गई. साथ ही जान से मारने की धमकियां दी गईं. विपक्षी दल के सदस्यों का आरोप है कि पहले के दो मीटिंग में भी सत्ता पक्ष ने फर्जी साइन किया था. सदस्यों का यह भी आरोप था कि बीडीपीओ की बैठक में क्षेत्र के कई सरपंचों का जबरदस्त दखल है. वे प्रेशर से अपने हिसाब से मीटिंग में एजेंडे पास करवाते हैं. वे इस सारे मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों और सरकार को कर चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.