रांची: झारखंड में अक्टूबर महीने में ही विधानसभा चुनाव होने की बढ़ती संभावनाओं के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन के सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कर दिया है कि वह विधानसभा चुनाव में न सिर्फ बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, बल्कि उसकी चाहत 2019 विधानसभा चुनाव से अधिक सीटें पाने की भी है.
सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय महागठबंधन दलों के बड़े नेता लेंगेः मनोज पांडेय
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय कहते हैं कि वैसे तो सीट शेयरिंग पर फाइनल फैसला महागठबंधन के सभी दलों के बड़े नेता मिल बैठकर करेंगे, लेकिन यह भी साफ है कि राज्य की राजनीति में ड्राइविंग सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ही रहेगा. झामुमो नेता ने कहा कि हम महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ते हैं और ज्यादा सीटें जीतते भी हैं.
जमीनी हकीकत और विनिबिलिटी होगा सीट पाने का मुख्य पैमाना
झामुमो नेता ने कहा कि महागठबंधन के सहयोगी दलों की धरातल पर क्या स्थिति है उनकी जमीनी हकीकत क्या है और किसकी विनिबिलिटी क्या है यह सब ध्यान में रखकर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय होगा.
कार्यकर्ताओं और जनता की इच्छा है कि झामुमो ज्यादा सीटों पर लड़े चुनाव- मनोज पांडेय
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राज्य की जनता और हमारे कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हम 2019 की अपेक्षा ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ें. ऐसे में कांग्रेस और राजद को विश्वास में लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगा.
एक सवाल के जवाब में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सीपीआई माले महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक का सहयोगी रहा है. ऐसे में झामुमो चाहता है कि विधानसभा चुनाव में भी माले महागठबंधन के साथ रहे .
2019 में 70 प्रतिशत के करीब था झामुमो की जीत का स्ट्राइक रेट
झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने और समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की शुरू से यह रणनीति रही है कि पार्टी के भविष्य के पॉलिटिकल लाइन को पहले उनके प्रवक्ता और केंद्रीय महासचिव से मीडिया के माध्यम से कहवाया जाता है और फिर बाद में वही स्टैंड पार्टी आलाकमान का हो जाता है. ऐसे में जब पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता 2019 की अपेक्षा इस बार अधिक विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने की बात करने लगे हैं, तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर इस पर विचार हो रहा होगा.