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हिमाचल में भांग की खेती वैध करने के लिए बनेगी पॉलिसी, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जताई चिंता - Cannabis Cultivation

HP Cannabis Cultivation Policy: हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने को लेकर गठित कमेटी ने सदन में रिपोर्ट पेश की है. जिसमें विपक्ष ने भी अपना समर्थन दिया है. जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में बढ़ते नशे के प्रचलन के बीच भांग की खेती को वैध करना चुनौतीपूर्ण काम है.

HP Cannabis Cultivation Policy
भाग की खेती पर बोले जयराम ठाकुर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 8, 2024, 7:24 AM IST

जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष (ETV Bharat)

मंडी: हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश में चल रहे आर्थिक संकट दौर के बीच आय के नए-नए विकल्पों को तलाशा जा रहा है. प्रदेश की मौजूदा सरकार भी हिमाचल की इनकम बढ़ाने के लिए आय के स्त्रोंतों को खोज रही है. भांग की खेती भी उसी का ही एक हिस्सा है और इसे लीगल करने के लिए पहले से ही कवायत शुरू हो गई थी. इस खेती को वैध बनाने के लिए गठित कमेटी ने सदन में अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसे विपक्ष ने भी स्वीकारा है.

नशे के प्रचलन के बीच पॉलिसी लागू करना चुनौतीपूर्ण

वहीं, जयराम ठाकुर ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश में बढ़ते नेश के प्रचलन के बीच भांग की खेती को व्यवहारिक तौर पर लागू कर पाना चुनौतीपूर्ण कार्य है. उन्होंने प्रदेश सरकार को सलाह दी है कि सरकार पहले भांग की खेती के नफे-नुकसान सही ढंग से जान ले और फिर उसके बाद ही इसे लागू करने की दिशा में प्रयास करें. जयराम ने साफ किया कि विपक्ष इस पॉलिसी के विरोध में नहीं है, लेकिन आने वाले समय में सरकार का इस पर क्या रुख रहता है, उस हिसाब से इसपर विचार किया जाएगा.

संस्थानों के बंद होने और बदले जाने पर जताई कड़ी आपत्ति

इसके अलावा जयराम ठाकुर ने प्रदेश में सरकार द्वारा बंद किए जा रहे और बदले जा रहे संस्थानों को लेकर भी कड़ी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मंडी जिले के साथ प्रदेश सरकार शुरू से ही भेदभाव कर रही है. पहले यहां पूर्व की सरकार द्वारा खोले गए सैंकड़ों संस्थान बंद कर दिए गए और अब संस्थानों को बदला जा रहा है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सदन में भी इस बात को प्रमुखता से रखा गया है. संस्थान जनहित के लिए खोले जाते हैं और सरकार को इस बात को सोचना चाहिए. अगर किसी दूसरे स्थान पर संस्थान की जरूरत है तो वहां नया संस्थान खोला जाए.

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