मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

महज 10 दिन में फर्राटेदार बोलें संस्कृत, तुरंत मिलेगी जॉब, अभियान में जुटी 'संस्कृत भारती' - JABALPUR SANSKRIT SAMMELAN

संस्कृत बोलना बिल्कुल भी कठिन नहीं है, ये कहना है 'संस्कृत भारती' संस्था का. संस्कृत में अनुवादकों के लिए अनेक अवसर हैं.

Jabalpur Sanskrit Sammelan
जबलपुर में संस्कृत भाषा पर प्रांतीय सम्मेलन (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 3:48 PM IST

जबलपुर :सरकार व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद करवा रही है. इसके लिए देश की 22 भाषाओं को चयनित किया गया है. इनमें संस्कृत भी है. संस्कृत के अनुवादकों को रोजगार का बड़ा अवसर मिल सकता है.'संस्कृत भारती' संस्था का कहना है "कोई भी 10 दिन में संस्कृत बोलना शुरू कर सकता है. संस्कृत भारत की सबसे पुरानी भाषा है. दुनिया की भी कुछ पुरानी भाषाओं में ये शुमार है. इसके बाद भी संस्कृत बोलचाल की भाषा नहीं बन पाई.'

संस्कृत भारती ने शुरू की मुहिम

'संस्कृत भारती' संस्थाका कहना है "सरकार संस्कृत को पाठ्यक्रम का विषय बनाकर स्कूलों में तो चला रही है लेकिन यह हिंदी, अंग्रेजी या देश की दूसरी भाषाओं की तरह ही कहीं बोली नहीं जाती. ऐसा माना जाता है की सांस्कृतिक बहुत ही कठिन भाषा है और इसे सीखना कठिन है. लेकिन संस्कृत भारती ऐसा नहीं मानती." बता दें कि संस्कृत भारती एक संगठन है जो संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाना चाहता है. संस्था ने इसके लिए 10 दिन का एक पाठ्यक्रम भी तैयार किया है, जिसमें मात्र 10 दिन के अभ्यास में कोई भी व्यक्ति बोलचाल की संस्कृत का इस्तेमाल कर सकता है.

महज 10 दिन में फर्राटेदार बोलें संस्कृत, संस्कृत भारती का दावा (ETV BHARAT)

संस्कृत के जानकारों ने सिखाने के लिए बनाए कैलेंडर

बता दें कि अभी तक आपने ऐसे विज्ञापन देखे होंगे जिनमें 10 दिन में अंग्रेजी सीखने के दावे किए जाते हैं. लेकिन कोई भी ऐसी संस्था नहीं है जो 10 दिन में संस्कृत सीखने की बात करती हो. वहीं, संस्कृत भारती ने ऐसा तरीका निकाला है, जिससे इस भाषा का थोड़ा बहुत ज्ञान रखने वाला भी 10 दिन में बोलचाल की भाषा बना सकता है. इसके लिए संस्था ने कुछ कैलेंडर बनाए हैं, जिनमें हमारी रोजमर्रा की जरूरत से जुड़े हुए शब्दों को चित्र के साथ प्रदर्शित किया गया है.

मुस्लिम बाहुल्य देशों में लोग सीख रहे संस्कृत

संस्कृत भारती के सदस्य डॉ. मनोजबताते हैं "उन्होंने ऐसे प्रयोग किए हैं. उनके इस प्रयोग से करोड़ों लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग करने लगे हैं." शिरीश देवपुजारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हैं और उन्होंने अपना जीवन संस्कृत के लिए समर्पित कर दिया है. देव पुजारीका कहना है "ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही लोग संस्कृत के बारे में जागरूक हो रहे हैं. दुनिया के 26 देशों में संस्कृत सीखने वालों की संख्या बढ़ी है. आश्चर्यजनक यह है कि अमेरिका जैसा अंग्रेजी प्रधान देश संस्कृत में रुचि दिखा रहा है. इसके अलावा मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया और यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमीरात में भी संस्कृत सीखने वाले लोग सामने आ रहे हैं."

व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अनुवाद संस्कृत में भी होगा

दरअसल, संस्कृत के बारे में कहा जाता है कि इसे पढ़ने के बाद किसी को कोई रोजगार नहीं मिलेगा लेकिन देव पुजारीका कहना है "सरकार ने घोषणा की है कि व्यावसायिक पाठ्यक्रम अभी तक केवल अंग्रेजी में ही पढ़ाई जाते थे. लेकिन अब इन्हें देश की 22 भाषाओं में अनुवादित किया जा रहा है. इन 22 भाषाओं में संस्कृत भी एक भाषा है, जिसमें व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को अनुवादित किया जाना है. इसलिए देशभर में संस्कृत जानने वालों की जरूरत पड़ेगी."

ABOUT THE AUTHOR

...view details