छिन्दवाड़ा (महेंद्र राय/पीयूष सिंह राजपूत) : पेंच टाइगर रिजर्व में रविवार 5 जनवरी को हुई मादा टाइगर की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. मादा टाइगर की मौत जंगली सुअर के लिए बिछाए गए करंट के तारों से हुई थी. इस मामले में करंट का जाल बिछाकर शिकार करने वाले 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. फॉरेस्ट रेंज के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि मोगली अभ्यारण्य और ग्राम जीरेवाड़ा की सीमा पर मृत पाई गई मादा बाघिन की उम्र लगभग 4 से 5 वर्ष थी.
ऐसे पकड़े गए शिकारी
फॉरेस्ट रेंज के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया, '' पेंच मोगली अभ्यारण्य कुरई में ग्राम जीरेवाड़ा सीमा लाइन पर 4 से 5 साल की मादा टाइगर मृत अवस्था में पाई गई थी. घटनास्थल का मौका मुआयना करने और मृत टाइगर के पोस्टमॉर्टम के बाद पता चला कि बाघिन की मौत करंट लगने से हुई थी. मौके पर शिकारियों द्वारा बिछाए गए करंट के जाल होने की भी पुष्टि हुई, जिसके बाद आरोपियों की तलाश के लिए डॉग स्क्वाड और मुखबिर तंत्र की सहायता ली गई और बुधवार को 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.''
11 केवी लाइन से बिछाया था करंट का जाल
पेंच फॉरेस्ट रेंज के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने आगे बताया, '' आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि जंगली सुअर के शिकार के लिए जाल बिछाया गया था. आरोपियों ने 11 केवी की विद्युत लाइन से तार लगाकर जाल बिछाया था लेकिन उसमें जंगली सुअर की जगह मादा टाइगर आकर फंस गई. बाघिन की करंट लगने से मौत होने के बाद उसके शव को झाड़ियों में पानी के बीच छिपाने का भी प्रयास किया गया.''
वन विभाग ने लिया रिमांड पर
शिकार के लिए बिजली के तार बिछाने वाले आरोपी सुनील पन्द्रे, राजेश ककोड़े, बकाराम, गंगाप्रसाद और सूरज ककोड़े को वन विभाग की टीम ने गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है. पूछताछ में वन विभाग की टीम शिकार के नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाने की कोशिश करेगी, साथ ही पूर्व में किए गए अन्य शिकारों के बारें में भी जानकारी जुटाएगी. वन विभाग की टीम को आशंका है कि पूछताछ में और भी मामलों का खुलासा हो सकता.
गश्ती दल ने देखा था टाइगर का शव
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने आगे बताया, '' आरोपियों द्वारा फैलाए गए करंट की चपेट में बाघिन आ गई थी और उसकी मौत हो गई. खुद को बचाने और घटना को छिपाने के लिए आरोपियों ने बाघिन के शव को छिपा दिया था लेकिन गश्ती दल को इसकी जानकारी लग गई. जांच अधिकारियों ने कुछ ही समय में आरोपियों को पकड़कर मामले का खुलासा कर दिया है.''
पिछले एक साल में पेंच में कितने टाइगर्स की मौत?
नेशनल टाइगर्स कंसर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की रिपोर्ट के मुताबिक पेंच टाइगर रिजर्व के मध्यप्रदेश वाले हिस्से में 2024 में 3 टाइगर्स की मौत हुई हैं. 16 दिसंबर,11 नवंबर और 26 मई 2024 को ये मौतें हुई थी, जिनमें मौत का कारण अलग-अलग था. वहीं पेंच टाइगर रिजर्व के महाराष्ट्र वाले हिस्से में 1 अप्रैल 2024 को एक बाघ की मौत हुई थी.
फसल बचाने के लिए ग्रामीण भी करंट फैलाते हैं
उपसंचालक ने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से लगे कई गांवों में ग्रामीणों द्वारा भी करंट के तार लगाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. ग्रामीण जंगली जानवरों से फसल बचान के लिए ऐसा करते हैं लेकिन कई बार इनकी चपेट में टाइगर भी आ जाते हैं. वन विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों को समझाइश देने के साथ जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है.
कहां हैं पेंच टाइगर रिजर्व?
पेंच टाइगर रिजर्व या पेंच नेशनल पार्क मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में फैला हुआ है. 1983 में नेशनल पार्क का दर्जा हासिल करने वाले इस टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में आता है, तो वहीं कुछ हिस्सा महाराष्ट्र के नागपुर से लगा हुआ है. पेंच टाइगर रिजर्व से नजदीकी एयरपोर्ट नागपुर (110 किमी) और जबलपुर (190 किमी) हैं.
पेंच टाइगर रिजर्व में कितने टाइगर हैं?
पेंच टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश के साथ महाराष्ट्र में भी आता है इसी वजह से यहां बाघों की संख्या के आंकड़ों में अंतर देखा जाता है. 2022 में की गई गिनती के मुताबिक पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या (मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मिलाकर) 123 के करीब थी. हालांकि, WWF की एक रिपोर्ट में नेशनल टाइगर्स कंसर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की रिपोर्ट का हवाला देकर दावा किया गया कि 2023 में पेंच टाइगर रिजर्व में टाइगर्स की संख्या 131 के करीब पहुंच चुकी है, जिसमें से मध्यप्रदेश में 87 और महाराष्ट्र वाले हिस्से में 44 टाइगर्स की मौजूदगी है. टाइगर्स की अगली गिनती 2026 में होगी.
यह भी पढ़ें-