जबलपुर: विद्युत वितरण कंपनियां अब बिजली के साथ-साथ इंटरनेट की सुविधा भी देने जा रही हैं. फिलहाल इंटरनेट का यह नेटवर्क विद्युत वितरण कंपनियों के अपने काम में आ रहा है, लेकिन उनके पास फाइबर ऑप्टिकल लाइंस का सबसे बड़ा नेटवर्क होने जा रहा है. जिसे लीज आउट भी करेंगे. अभी तक फाइबर ऑप्टिकल की लाइन जमीन के भीतर से एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन भेजी जाती थी, लेकिन विद्युत नेटवर्क कंपनियों ने इसे अपने टावर के माध्यम से फैलाने का काम किया है. इसमें एक विशेष किस्म के वायर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
देशभर में बिछा ऑप्टिकल फाइबर जाल
आपके हमारे घरों में जो इंटरनेट पहुंचता है, उसके पीछे फाइबर ऑप्टिकल केबल होती है. फाइबर ऑप्टिकल केबल जमीन के भीतर मिट्टी खोदकर गाड़ी जाती है. पूरे देश में फाइबर ऑप्टिकल केबल्स का जाल बिछा हुआ है. दिनों दिन इंटरनेट की मांग बढ़ती जा रही है और सभी को ज्यादा स्पीड वाला इंटरनेट डाटा चाहिए. इसलिए ज्यादा फाइबर ऑप्टिकल्स की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन फाइबर ऑप्टिकल से भी बड़ा एक दूसरा नेटवर्क है. जो हमारे घरों तक बिजली पहुंचा रहा है. यदि फाइबर ऑप्टिकल केबल बिजली के तारों के माध्यम से हमारे आसपास तक पहुंच जाती है, तो फाइबर ऑप्टिकल का जाल बहुत तेजी से फैलाया जा सकता है.
आधुनिक वायर का इस्तेमाल
मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के चीफ इंजीनियर संदीप गायकवाड़ने बताया कि ''उनकी पावर डिस्ट्रीब्यूशन की टावर लाइन का नेटवर्क हर सब स्टेशन तक है. पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पास मध्य प्रदेश में 90,000 से ज्यादा टावर हैं. इन्हीं टावर लाइन के ऊपर एक वायर लगाया जाता है. जिसका उपयोग आकाशीय बिजली के गिरने की दशा में लाइन की सुरक्षा करना होता है. पहले यह वायर पूरी तरह धातु का बना होता था. इसका कोई दूसरा उपयोग नहीं था, लेकिन आजकल एक आधुनिक वायर इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके भीतर एककोरहोती है. जिसमें ऑप्टिकल फाइबर की एक मोटी लाइन डाली होती है.
ऑटोमेटिक करने जा रहे पावर सब स्टेशन
संदीप गायकवाड का कहना है कि, ''इन्हीं में से एक छोटे से हिस्से का इस्तेमाल पावर ट्रांसमिशन लाइन के डाटा को ट्रांसमिट करने के लिए फिलहाल पावर ट्रांसमिशन कंपनी कर रही हैं. लेकिन इसमें 90% फाइबर ऑप्टिकल लाइन खाली पड़ी हुई है. जिसका उपयोग बिजली कंपनी लीज आउट करके देने की तैयारी कर रही है. पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी अपने सब स्टेशन भी ऑटोमेटिक करने जा रही हैं. इसी फाइबर ऑप्टिकल के जरिए इन सब स्टेशन को एक ही कंट्रोल डिपो से चलाया जा सकेगा.''