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जांच लंबित रहने के दौरान स्कूलों के खिलाफ न की जाए सख्त कार्रवाई, जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश

शहर के छह स्कूलों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से कहा, सख्त कार्रवाई करने से पहले सात दिन का समय दें.

JABALPUR HIGH COURT
जबलपुर हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

जबलपुर: जबलपुर हाईकोर्ट ने शहर के छह स्कूलों की याचिकाओं पर जिला प्रशासन को कहा है कि जांच लंबित रहने के दौरान आवेदकों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाए. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद जिला प्रशासन कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा. प्रशासन सख्त कार्रवाई करने से पूर्व सात दिनों का समय प्रदान करेगा. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ आधा दर्जन स्कूल प्रबंधनों की तरफ से पेश अपील का निराकरण कर दिया.

एकलपीठ से अपील खारिज होने पर युगल के समक्ष दायर की गई थी याचिका

गौरतलब है कि इन स्कूलों के प्रबंधन की तरफ से मनमानी फीस वसूली तथा फर्जी पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने के मामले में जिला प्रशासन की तरफ से जारी जांच में सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थी. एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज किये जाने के बाद युगल पीठ के समक्ष ये अपील दायर की गई थी.

स्कूल प्रबंधन ने कहा, जिला प्रशासन आईपीसी के प्रावधानों के तहत कर रहा है कार्रवाई

अपीलकर्ता स्कूल प्रबंधन की तरफ से कहा गया था कि जिला प्रशासन स्कूल फीस अधिनियम की आड़ में आईपीसी के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रहा है, जो अवैधानिक है. वहीं सरकार की ओर से बताया गया कि जिन मामलों में अनियमित्ताएं पाई गई हैं, सिर्फ उन्हीं में एफआईआर करके संबंधित स्कूल के प्राचार्यों या मैनेजरों को गिरफ्तार किया गया है. याचिकाकर्ता स्कूलों के खिलाफ अभी जांच चल रही है, इसलिए ये मामले अपरिपक्व होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं हैं. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अपील का निराकरण करते हुए ये आदेश जारी किये हैं. याचिकाकर्ता स्कूलों की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पक्ष रखा.

जबलपुर: जबलपुर हाईकोर्ट ने शहर के छह स्कूलों की याचिकाओं पर जिला प्रशासन को कहा है कि जांच लंबित रहने के दौरान आवेदकों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाए. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद जिला प्रशासन कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा. प्रशासन सख्त कार्रवाई करने से पूर्व सात दिनों का समय प्रदान करेगा. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ आधा दर्जन स्कूल प्रबंधनों की तरफ से पेश अपील का निराकरण कर दिया.

एकलपीठ से अपील खारिज होने पर युगल के समक्ष दायर की गई थी याचिका

गौरतलब है कि इन स्कूलों के प्रबंधन की तरफ से मनमानी फीस वसूली तथा फर्जी पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने के मामले में जिला प्रशासन की तरफ से जारी जांच में सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थी. एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज किये जाने के बाद युगल पीठ के समक्ष ये अपील दायर की गई थी.

स्कूल प्रबंधन ने कहा, जिला प्रशासन आईपीसी के प्रावधानों के तहत कर रहा है कार्रवाई

अपीलकर्ता स्कूल प्रबंधन की तरफ से कहा गया था कि जिला प्रशासन स्कूल फीस अधिनियम की आड़ में आईपीसी के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रहा है, जो अवैधानिक है. वहीं सरकार की ओर से बताया गया कि जिन मामलों में अनियमित्ताएं पाई गई हैं, सिर्फ उन्हीं में एफआईआर करके संबंधित स्कूल के प्राचार्यों या मैनेजरों को गिरफ्तार किया गया है. याचिकाकर्ता स्कूलों के खिलाफ अभी जांच चल रही है, इसलिए ये मामले अपरिपक्व होने के कारण सुनवाई योग्य नहीं हैं. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अपील का निराकरण करते हुए ये आदेश जारी किये हैं. याचिकाकर्ता स्कूलों की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पक्ष रखा.

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