जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ का विदाई भाषण चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में खुलकर अपनी उपलब्धियां गिनवाईं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उनके करियर में कई दुश्मन आए, जिन्होंने उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन अपने सिद्धांतों और दृढ़ निश्चय की वजह से वह उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पाए. जस्टिस रवि मलिमथ का कहना है कि यह उनकी ही कोशिशों का नतीजा है कि मध्य प्रदेश आज ज्यूडिशियल सिस्टम में देश का पहले नंबर का राज्य बन गया है.
कई बार किया मेरा ट्रांसफर
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने कहा कि "मुझे कर्नाटक में पहली बार जज बनने का मौका मिला था. कर्नाटक से मुझे उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया जहां मुझे चीफ जस्टिस बनाया जाना था लेकिन नहीं बनाया गया. उत्तराखंड से मुझे हिमाचल प्रदेश ट्रांसफर किया गया यहां भी मुझे चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया. जब मुझे मध्य प्रदेश ट्रांसफर किया गया तब मुझे चीफ जस्टिस बनने का मौका मिला. रवि मलिमथ का कहना है कि लगातार ट्रांसफर उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए किए गए थे. कई लोगों ने उनके करियर को लगातार बर्बाद करने की कोशिश की लेकिन उनके दुश्मन सफल नहीं हो पाए."
25 साल पुराने केस खुलवाए
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने रिटायरमेंट से पहले अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया कि "अदालतों में पेंडिंग केसेस को सेमिनार और डायलॉग के जरिए खत्म नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए कदम उठाने पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि एक स्कीम चलाई थी जिसके तहत 25 सबसे पुराने मामलों की सुनवाई लगातार करने का एडमिनिस्ट्रेटिव आर्डर चीफ जस्टिस की ओर से निकाला गया था. जस्टिस रवि मलिमथ ने बताया कि उनकी इस कोशिश की वजह से मध्य प्रदेश की निचली अदालतों में लंबित सबसे पुराना मामला 1962 का था, जो बीते 61 साल से लंबित था. 1964 का एक मामला था और 1966 के 2 मामले थे. 1959 का भी एक मामला था. इस तरह हजारों की तादाद में ऐसे मामले जो लगभग 25 से 50 साल पुराने थे उन्हें उनकी स्कीम की वजह से न्याय मिल सका. इन मामलों को निचली अदालतों को लगातार सुनना पड़ता था और इसकी मॉनिटरिंग हाई कोर्ट करता था, हालांकि इसका वकीलों ने बहुत विरोध किया था."
आधुनिक अदालतें बनवाई
चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने बताया कि उन्होंने अदालतों में जल्दी सुनवाई हो सके इसके लिए अदालतों का तकनीकी विकास किया. कई अदालतें पेपरलेस तरीके से कम कर रही हैं. जस्टिस रवि मलिमथ का कहना है कि मध्य प्रदेश में कई अदालतें किराए के मकान में चल रही थी, अदालतों की पुरानी इमारतें छोटी पड़ने लगी थी लेकिन इन्हें बनाने की अनुमति 16 सालों से नहीं मिल पा रही थी. उन्होंने इन सभी बिल्डिंग की सैंक्शन को जारी किया और उनकी लगातार मॉनिटरिंग करके प्रदेश भर में कोर्ट की इमारतें बनवाई.
काम के घंटे बढ़ाए
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने अपने विदाई भाषण में बताया कि उन्होंने सभी अदालतों से आधा घंटा ज्यादा काम करने के लिए कहा था और उनकी बात लोगों ने मानी अब अदालतों में पहले से अधिक काम होता है.