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नो मैन होल सीवर चैंबर पॉलिसी का दस दिनों में जारी होगा नोटिफिकेशन, हाईकोर्ट में सरकार ने रखा पक्ष - government issue notification 10day

Jabalpur High Court Decision: एमपी में नो मैन होल सीवर चैंबर पॉलिसी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.इस दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि दस दिनों में नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा.

government issue notification 10 days
एमपी में नो मैन होल सीवर चैंबर पॉलिसी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 7, 2024, 8:54 PM IST

जबलपुर। एमपी में नो मैन होल सीवर चैंबर पॉलिसी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.इस दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि नो मैन होल सीवर चैंबर पॉलिसी के संबंध में दस दिनों में नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका में कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता आकाश चौधरी को नियुक्ति करने हुए अगली सुनवाई 7 मार्च को निर्धारित की है.

हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैंबर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत के मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैंबर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गये. बचाव के प्रयास के बावजूद भी मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी. इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं. गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. इस बात पर जोर देने की जरूरत नहीं है कि ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं.

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हाईकोर्ट ने क्या कहा

याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ अपने आदेश में कहा है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानून सीवेज, नाली, सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए उतरने से पहले सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है. अफ़सोस की बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति सुरक्षात्मक उपकरण पहनता है और उचित सुरक्षा सावधानियां बरतता है और उसके पास उचित उपकरण हैं, तो उसे मैनुअल स्कैवेंजर नहीं माना जाएगा. सामूहिक प्रतिबद्धता और निरंतर सुधार के माध्यम से समान घटनाओं को रोकना और श्रमिकों को नुकसान से बचाना अनिवार्य है. लापरवाही के मामलों में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है.

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