जबलपुर:यदि आप खरीफ की फसल में खरपतवार नाशक का प्रयोग कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए चौंकाने वाली हो सकती है, क्योंकि जबलपुर के एक किसान ने अपने मक्के के खेत में खरपतवार नाशक डाला तो खरपतवार तो खत्म नहीं हुआ, बल्कि मक्के की फसल ही पूरी तरह बर्बाद हो गई. अब जबलपुर के कृषि वैज्ञानिक इस बात की जांच कर रहे हैं, कि यह किस वजह से और क्या हुआ है. खरपतवार नाशक में गड़बड़ी थी या किसान के इस खेत में डालने में कोई परेशानी हुई है.
जबलपुर के बृजेश ने खेत में डाली दवा
जबलपुर के शाहपुर ब्लॉक के मनकेडी गांव में बृजेश कुमार बर्मन ने 12 एकड़ क्षेत्र में मक्का लगाया था. बृजेश कुमार ने यह जमीन किराए पर ली थी. बृजेश की फसल में खरपतवार उग रहे थे, इसलिए उसने शाहपुरा के एक किसानों के लिए खेती के उपयोग में आने वाले खाद कीटनाशक और खरपतवार बेचने वाले राजेंद्र अग्रवाल से संपर्क किया. राजेंद्र अग्रवाल ने बीएसएफ कंपनी का एक खरपतवार नाशक बृजेश बर्मन को दिया. बृजेश ने इस दवा के बदले राजेंद्र अग्रवाल को 19000 रुपए का भुगतान भी किया, लेकिन जैसे ही बृजेश ने यह दवा अपने खेत में डाली, एक-दो दिन में दवा ने अपना असर दिखना शुरू किया.
दवा डालने से सूख गई मक्के की फसल
बृजेश को उम्मीद थी कि खरपतवार सूखेंगे, लेकिन अचानक उन्हें मक्के के पौधे सूखते हुए नजर आए. बृजेश ने जब अपने खेत की बिगड़ती हालत देखी, तो उसने आसपास के किसानों से चर्चा की. सभी लोगों ने सलाह दी कि पहले दुकानदार के पास जाकर आपत्ति दर्ज करवाओ, लेकिन दुकानदार यह मानने को तैयार नहीं है कि उसने कुछ गलती की है. उसका कहना है कि उसने सही दवा दी थी.
कलेक्ट्रेट में की दुकानदार के खिलाफ शिकायत
पीड़ित बृजेश बर्मन अपने साथियों के साथ मंगलवार को जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे. उन्होंने कलेक्टर को अपनी सूखी हुई फसल के कुछ पौधे दिखाए. साथ ही खेत के कुछ वीडियो भी दिखाए. बृजेश ने इस बात की शिकायत स्थानीय कृषि अधिकारियों से की थी, लेकिनबृजेश ने अपने शिकायती पत्र में लिखा कि 'ऐसा लगता है कि कृषि विभाग के अधिकारी दुकानदार के पक्ष में हैं, उन्हें किसान के नुकसान से मतलब नहीं है.'