जबलपुर। हर युवा का सपना होता है कि उसका फौलाद जैसा शरीर होता, ज्यादातर लोग कभी ना कभी जिम जरूर जाते हैं और जिम में कुछ पोस्टर्स लगे होते हैं जिनमे बॉडीबिल्डर दिखते हैं और इन्हीं की बॉडी को देखकर युवाओं को प्रेरणा मिलती है और वह खुद भी उसी तरह की बॉडी बनाने के लिए प्रयास करने लगते हैं. जबलपुर में रविवार को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में मिस्टर जबलपुर के लिए बॉडीबिल्डर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ.
'बॉडीबिल्डिंग रोजगार का जरिया नहीं है'
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में आयोजित बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता में जायदेव राय को मिस्टर जबलपुर का खिताब दिया गया.जायदेव राय इस प्रतियोगिता को इसके पहले भी जीत चुके हैं. जायदेव का कहना है कि "बॉडीबिल्डिंग एक पागलपन है बॉडीबिल्डिंग के जरिए ना तो करियर बनाया जा सकता है और ना ही पैसा कमाया जा सकता है. अच्छे बॉडीबिल्डर ज्यादा से ज्यादा किसी जिम में ट्रेनर बन पाते हैं, इसलिए यदि आपका शौक है तो बेशक कीजिए लेकिन इसमें करियर की गुंजाइश नहीं है."जायदेव जबलपुर के जीसीएफ फैक्ट्री में नौकरी करते हैं.
'महंगा शौक है बॉडीबिल्डिंग'
मिस्टर जबलपुर के शो को जज कर रहे बॉडीबिल्डर फेडरेशन के नेशनल जज देवजीत चटर्जी का कहना है कि "यह बड़ा महंगा शौक है. बॉडीबिल्डर अपने शरीर की मसल्स को उभरने के लिए कई घंटे मेहनत करते हैं. मेहनत के साथ ही साथ एक बॉडीबिल्डर को अच्छी डाइट की जरूरत भी होती है जिसमें फैट और प्रोटीन दोनों होना चाहिए. देवजी चटर्जी का कहना है कि नेशनल लेवल की चैंपियनशिप जीतने के लिए 4 से 5 घंटे की एक्सरसाइज जरूरी है और इसमें निरंतरता बेहद जरूरी है तब जाकर एक सामान्य आदमी नेशनल लेवल का बॉडीबिल्डर बन सकता है."