जबलपुर: जबलपुर हाईकोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट मैच नहीं होने पर दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए बलात्कार के आरोप में बरी किये जाने के आदेश को उचित ठहराया. युगलपीठ ने पाया कि आरोपी शिकायतकर्ता के घर में गया था इसलिए वह आईपीसी की धारा 448 के तहत दोषी है. उसके 92 दिन जेल में गुजारे है, यह सजा उसके लिए पर्याप्त है.
निचली अदालत के फैसले को पीड़िता ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
बलात्कार के आरोपी को निचली अदालत द्वारा दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट तथा घर में जबरदस्ती घुसने के आरोप में दो साल की सजा से दंडित किए जाने को दायर अपील में चुनौती दी गई थी.
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नरसिंहपुर निवासी पीड़ित की तरफ से दायर अपील में कहा गया था कि आरोपी ने घर में जबरदस्ती घुसकर उसके साथ दो बार दुराचार किया. इसके बाद वह पीड़िता को धमका रहा था तभी उसकी बड़ी बहन आ गई. उसके जाने के बाद पीड़िता ने अपनी बड़ी बहन तथा परिवार के अन्य सदस्यों को घटना की जानकारी देते हुए रिपोर्ट दर्ज करवाई. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार, एससी एसटी एक्ट तथा 451 के तहत केस दर्ज किया था. न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषमुक्त करार दिये जाने के बाद हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की गई थी.
न्यायालय ने डीएनए रिपोर्ट मेल नहीं खाने तथा पीड़िता को कोई बाहरी चोट नहीं आने के आधार पर आरोपी को बरी किया
वहीं आरोपी की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि न्यायालय ने उसे बलात्कार के आरोप में दोषमुक्त कर दिया है. घर में जबरदस्ती घुसने तथा एसटीएससी एक्ट के तहत दो साल की सजा से दंडित किया है. युगलपीठ ने द्वारा दोनों अपील की सुनवाई संयुक्त रूप से की गई. युगलपीठ ने पाया कि न्यायालय ने अपने आदेश में डीएनए रिपोर्ट मेल नहीं खाने तथा पीड़िता को कोई बाहरी चोट नहीं आने के आधार पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था.
न्यायालय ने पाया था कि घटना का कोई गवाह नहीं है. समाज की पंचायत में आरोपी के पिता ने आरोप लगाए थे कि शिकायतकर्ता व उसके बेटे के बीच प्रेम संबंध थे. इस दौरान शिकायतकर्ता ने उन पर चप्पल फेंकी थी, जिससे स्पष्ट है कि दोनों के बीच दुश्मनी थी. शिकायतकर्ता के परिजनों ने घटना के दिन घर के बाहर आरोपी के साथ मारपीट की थी. आरोपी किसी अपराध के इरादे से पीड़ित के घर नहीं गया था.
इसलिए उसके खिलाफ धारा 451 तथा एसटीएससी का अपराध नहीं बनता है. आरोपी बिना अनुमति पीड़िता के घर गया था जो धारा 448 के तहत अपराध है. युगलपीठ ने शिकायतकर्ता की अपील को खारिज करते हुए ये आदेश जारी किए.