जबलपुर: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की 2022 की परीक्षा में अनुसूचित जनजाति में जबलपुर के निशांत भूरिया ने पहला स्थान प्राप्त किया है. 2022 की पीएससी परीक्षा में निशांत की कुल मिलाकर रैंकिंग 19 रही है. निशांत भूरिया को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल होने पर डिप्टी कलेक्टर की रैंक मिलेगी. निशांत भूरिया भारीया जनजाति से आते हैं. जिसका संबंध मध्य प्रदेश के पातालकोट से है. भारतीय जनजाति में अभी तक डिप्टी कलेक्टर बनने वाला निशांत पहला शख्स है.
भारिया जनजाति का पहला डिप्टी कलेक्टर निशांत
निशांत भूरिया की यह उपलब्धि सामान्य नहीं है. क्योंकि निशांत भूरिया भारिया जनजाति के हैं. भारिया जनजाति मध्य प्रदेश की एक बेहद पिछड़ी जनजाति मानी जाती है. निशांत भूरिया के शिक्षक और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले सिद्धार्थ गौतम का दावा है कि, ''भारिया जनजाति में पहली बार कोई डिप्टी कलेक्टर तक के पद पर पहुंचा है. यह जनजाति बेहद पिछड़ी जनजाति है और इसका नाता मध्य प्रदेश के पातालकोट से है.''
भारिया जनजाति से निकला पहला डिप्टी कलेक्टर (ETV Bharat) मजदूरी करने पातालकोट से जबलपुर आए थे निशांत के पिता
निशांत ने बताया कि, ''उसके पिता मुकेश भूरिया उसके जन्म के पहले मजदूरी करने के लिए जबलपुर आए थे. वे भी पातालकोट के ही रहने वाले हैं.'' मुकेश भूरिया साक्षर हैं और निशांत की मां तो बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नहीं है. निशांत भूरिया की पढ़ाई जबलपुर के लज्जा शंकर झा मॉडल हाई स्कूल से हुई. यहां निशांत ने गणित विषय से 12वीं की परीक्षा 93% अंकों से पास की थी. यहीं से उन्होंने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस निकाला और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया.
भारिया जनजाति से पहली बार बना कोई डिप्टी कलेक्टर (ETV Bharat) पटवारी रहते MPPSC की परीक्षा दी
यहां पर इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की. इसके बाद निशांत को पहले पोस्ट ऑफिस में नौकरी मिली और बाद में भी जबलपुर के ही पाटन में पटवारी के रूप में पदस्थ हो गए थे. पटवारी रहते हुए उन्होंने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने जनजाति समुदाय में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. निशांत की उम्र अभी मात्र 25 साल है.
निशांत भूरिया बने डिप्टी कलेक्टर (ETV Bharat) आदिवासी व्यंजन बनाते हैं निशांत
निशांत का कहना है कि, ''वह अभी भी अपनी जड़ों से अलग नहीं हुआ है और उसका शोक आदिवासी खाना बनाना है. वह महुआ से जुड़े हुए व्यंजन और आदिवासी व्यंजन बनाते हैं.'' निशांत भूरिया ने बताया कि, यदि कोई समर्पित होकर MPPSC की तैयारी करता है तो मात्र 1 साल में इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है.'' निशांत ने अपनी इस सफलता के लिए अपने गुरु सिद्धार्थ गौतम का धन्यवाद किया है.
शिक्षक ने बढ़ाया निशांत का हौसला
सिद्धार्थ गौतम जबलपुर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं. उनका कहना है कि, ''निशांत और उनके भाई को भी हमेशा मुफ्त शिक्षा देते रहे, क्योंकि इन दोनों ही बच्चों में गजब की काबिलियत थी और उन्हें उम्मीद थी यदि इन्हें सही शिक्षा दी जाए तो यह प्रतियोगी परीक्षाएं निकाल सकते हैं.'' निशांत का कहना है कि, ''यदि उसे मौका मिलेगा तो वह जनजाति के लोगों का जीवन स्तर सुधारने का काम करेंगे. उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करेंगे.''
बेहद पिछड़ी हुई है भारिया जनजाति
भारिया जनजाति मध्य प्रदेश की दूसरी जनजातियों से कुछ ज्यादा पिछड़ी है. भारिया भील जनजाति में भी पाए जाते हैं लेकिन भील जनजाति के लोग दूसरी आदिवासी जनजाति से बेहतर स्थिति में हैं. कांतिलाल भूरिया भी जनजाति से हैं लेकिन वे भील है. निशांत अपने समाज में इतनी बड़ी उपलब्धि पाने वाला पहला छात्र है.