लखनऊ: प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में हर साल प्रवेश क्षमता घटती जा रही है. सरकारी सीटों के मुकाबले प्राइवेट आईटीआई में प्रवेश क्षमता घटी है. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में प्राइवेट आईटीआई की चार लाख सीटों के सापेक्ष में मात्र 84 हजार आवेदन मिले हैं. इससे आईटीआई की लाखों सीटें खाली रह जाएंगी. इसके पीछे का कारण ये है कि आईटीआई से अभ्यर्थियों को मोह भंग नहीं हुआ है बल्कि बड़ी कंपनियां अभ्यर्थियों को दो साल ट्रेनिंग के साथ वेतन और आईटीआई सर्टिफिकेट दोनों दे रही हैं.
सीटीएस ट्रेनिंग के तहत घट रहे प्रवेश:आईटीआई में बीते दो सालों से शहर समेत देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां स्टूडेंट्स को सीटीएस के तहत भर्ती दे रही हैं. सरकारी आईटीआई में स्टूडेंट्स को 500 रुपये प्रतिवर्ष खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, प्राइवेट आईटीआई में स्टूडेंट्स को प्रतिवर्ष 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. उधर, कंपनियां 10वीं पास स्टूडेंट्स को सीटीएस (क्रॉफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम) के तहत सीखने के साथ कमाने का मौका दे रही हैं. इसमें कंपनियों द्वारा अभ्यर्थियों को दो साल का कंपनी में प्रशिक्षण, 16,200 रुपये प्रतिमाह वेतन और आईटीआई का एनसीवीटी (नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग) भी दे रही हैं. ऐसे में अभ्यर्थी प्राइवेट आईटीआई में जाने की जगह सीधे कंपनियों में ट्रेनिंग का मौका तलाश रहे हैं.