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पत्नी के चरित्र पर लगाए गए आरोपों को ठोस साक्ष्य से साबित करना आवश्यक, पति का मामला खारिज - FAMILY COURT ON DIVORCE CASE

पारिवारिक न्यायालय ने पति के मुकदमे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि पत्नी के चरित्र पर लगाए आरोपों का कोई साक्ष्य नहीं था.

Jodhpur family court
जोधपुर पारिवारिक न्यायालय (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 17, 2024, 8:07 PM IST

जोधपुर: पारिवारिक न्यायालय संख्या 02, जोधपुर के न्यायाधीश वरूण तलवार ने पति द्वारा अपनी पत्नि की चरित्रहिनता के आधार पर किए गए विवाह विच्छेद के मुकदमे को खारिज करते हुए यह निर्णय दिया कि सामान्यतः कामकाजी महिला के साथ विवाद होने पर उसका पति उस पर चरित्रहीन होने का आरोप लगा देता है. लेकिन इस तरह के आरोप को ठोस साक्ष्य से साबित करना आवश्यक होता है. मात्र सामान्य आरोपों से पत्नि की चरित्रहिनता साबित नहीं होती.

इस प्रकरण में पति ने अपनी पत्नि पर यह आरोप लगाते हुए न्यायालय में तलाक का मुकदमा किया था कि उसकी पत्नि एक पत्रकार है तथा उसके अनेक अन्य लोगों के साथ अवैध संबंध हैं. इसके अलावा भी उसके अपने मिलने-जुलने वाले व्यक्तियों से भी गलत संबंध हैं. उसने अपने से एक अंजान व्यक्ति को अपने घर में अपनी पत्नि के साथ अभद्र स्थिति में देखा था. पत्नि के अधिवक्ता हैदर आगा ने दौराने बहस यह तर्क दिया कि यदि प्रार्थी ने अपनी पत्नि को किसी अनजान व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा था, तो उसने उस व्यक्ति का नाम पूछे बिना जाने कैसे दिया.

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उनका यह भी तर्क था कि पति ने ऐसी घटना की कोई तारीख या महीना नहीं बताया है. जबकि इस तरह की घटना के संबंध में भूल जाने कि बात कत्तई मानने योग्य नहीं हो सकती. उन्होंने न्यायालय के समक्ष यह भी दलील दी कि इस मामले में पत्नि ने अपने पति के साथ क्रूरता नहीं की है. बल्कि उसके पति ने उससे तलाक लेने के लिये उस पर झूठे आरोप लगाए हैं, जो की एक गंम्भीर विषय है. उन्होंने चरित्रहिनता के आधार पर दायर किये गये इस मुकदमे को खारिज करने की प्रार्थना की.

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पति के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पति ने यह साबित किया है कि उसकी पत्नि के पास नये-नये लोग आते थे. उसकी पत्नि के उन लोगों से अवैध संबंध थे. लेकिन पत्नि अपने मीडियाकर्मी होने का रौब दिखाते हुए उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करती थी. अधिवक्ता हैदर आग ने बताया कि दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने यह माना कि यदि पति द्वारा अपनी पत्नि की चरित्रहिनता के आधार पर विवाह विच्छेद करने की मांग की जाती है, तो उसे ठोस साक्ष्य से अपनी पत्नि की क्रूरता को साबित करना होगा. क्योंकि पति इस मामले में अपनी पत्नि के चरित्रहिनता को साबित नहीं कर पाया है. इस कारण उसका यह मुकदमा स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है. पति तलाक की डिक्री प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है.

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