रांची: लोकसभा आम चुनाव-2024 में इस बार INDIA ब्लॉक में हुए सीट शेयरिंग फॉर्मूले को ताक पर रखकर झामुमो के चार कद्दावर विधायक- पूर्व विधायक चुनाव मैदान में हैं. इन चार नेताओं में से तीन पर पार्टी की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो चुकी है. ऐसे में झामुमो के राज्यसभा सांसद महुआ माजी का ईटीवी को दिया एक बयान यह सवाल खड़े करता है कि क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की अस्वस्थता और कार्यकारी अध्यक्ष के जेल में होने के कारण मुख्यमंत्री और पार्टी के उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन अपने दायित्व को निभाने में चूक गए. क्या अगर हेमंत सोरेन जेल नहीं गए होते तो चार लोकसभा सीट पर झामुमो के विधायक-नेता पार्टी गाइडलाइन को साइड कर चुनाव मैदान में नहीं होते?
क्या है झामुमो के राज्यसभा सांसद महुआ माजी का बयान
ईटीवी भारत से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी कहती हैं कि उनका यानी हेमंत सोरेन का स्वभाव बेहद मिलनसार है. वह अपने स्वभाव से दुश्मन को भी दोस्त बना लेते हैं. अगर हेमन्त सोरेन बाहर होते तो उसका क्या असर लोकसभा चुनाव पर पड़ता? इस सवाल के जवाब में महुआ माजी कहती हैं कि उनका मानना है कि अगर हेमंत सोरेन बाहर होते तो आज जो नेता बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे हैं वह चुनाव समर में नहीं होते. राज्यसभा सांसद महुआ माजी कहती हैं कि अगर हेमन्त जी बाहर होते तो चमरा लिंडा, लोबिन हेम्ब्रम, जेपी वर्मा, बसंत लौंगा चुनाव मैदान में निर्दलीय नहीं होते. महुआ माजी ने कहा कि हेमन्त सोरेन, सभी को साथ लेकर चलते. समय का तकाजा बताता कि कैसे भाजपा को परास्त किया जाए.
तो क्या मुख्यमंत्री और पार्टी के उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन अपने दायित्वों को नहीं निभा पाएं ?
शिबू सोरेन की अस्वस्थता और हेमंत सोरेन के कारावास के दौरान चम्पाई सोरेन अपने दायित्व निभाने में फेल रहे? इस सवाल के जवाब में राज्यसभा सांसद थोड़ी दुविधा के साथ कहती हैं कि 'ऐसा नहीं है. उन्हें समय कम मिला है. चम्पाई सोरेन भी अच्छा काम कर रहे हैं.'
नेतृत्व कोई भी करें, झामुमो में नहीं रुकेगी बगावत- भाजपा
झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड प्रदेश भाजपा के मीडिया सह संयोजक मो. तारिक इमरान ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में अब बगावत रुकने वाला नहीं है. नेतृत्व चाहे शिबू सोरेन करें, हेमन्त सोरेन करें या मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन उपाध्यक्ष के रूप में मोर्चा संभालें, अब मुक्ति मोर्चा में बगावत रुकने वाला नहीं है. तारिक इमरान ने कहा कि झामुमो टूटने के कागार पर है और लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.