कुल्लू: जिला मुख्यालय ढालपुर मैदान में अब 13 अक्टूबर से देवी देवताओं का महाकुंभ शुरू होने जा रहा है. वहीं, नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही देवी देवताओं के रथ सजाकर तैयार हो जाएंगे. इसके लिए देवी देवताओं के हरियान भी अपनी तैयारी में जुट गए हैं. वहीं, बंजार घाटी के प्रमुख देवता श्रृंगा ऋषि और देवता बालूनाग भी हर साल की तरह इस साल भी दशहरा उत्सव में शिरकत करेंगे. अबकी बार दशहरा उत्सव समिति ने दोनों देवताओं को निमंत्रण पत्र भी दिए गए हैं, लेकिन निमंत्रण पत्र मिलने के बावजूद भी दोनों देवता भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे.
भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा 13 अक्टूबर को ढालपुर मैदान में आयोजित की जाएगी, जिसमें जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों से आए देवी देवता भी शामिल होंगे. धुर विवाद को लेकर पुलिस की निगरानी में अबकी बार फिर से दोनों देवताओं को नजर बंद रखा जाएगा. हालांकि, दोनों देवताओं के आपसी विवाद के चलते 15 सालों से दोनों को निमंत्रण पत्र नहीं भेजे जा रहे थे, लेकिन अबकी बार दशहरा उत्सव समिति ने उन्हें निमंत्रण पत्र देने का निर्णय लिया हैं, लेकिन दोनों ही देवता रथ यात्रा में शामिल नहीं हो पाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है विवाद की सुनवाई
गौर रहे कि भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में दाएं और चलने को लेकर दोनों देवताओं के हरियानों में विवाद है. देवता श्रृंगा ऋषि के हरियानों का तर्क है कि देवता श्रृंगा ऋषि भगवान श्री राम के जीजा भी हैं और उन्होंने ही पुत्रेष्ठि यज्ञ करवा कर राजा दशरथ को संतान प्राप्ति करवाई थी. ऐसे में उनका स्थान बड़ा है और उन्हें रथ के दाएं और चलना चाहिए. इसके अलावा देवता बालू नाग के हरियानों का मानना है कि देवता बालू नाग लक्ष्मण के अवतार हैं और भगवान कृष्ण के साथ देवता बालूनाग बलराम के रूप में रहे. ऐसे में उन्हें रथ के दाएं और चलने का अधिकार है. इस विवाद को लेकर दोनों देवताओं के हरियानों के बीच कई बार झड़प भी हुई और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में दशहरा उत्सव में किसी प्रकार का विघ्न उत्पन्न ना हो इसके लिए प्रशासन दोनों देवताओं को उनके शिविर में नजर बंद रखता है.