लखनऊ : केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर्पूरी ठाकुर को, जिन्हें अत्यधिक लोकप्रियता के कारण 'जननायक' भी कहा जाता है, मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में एक नाई समाज में जन्मे कर्पूरी ठाकुर आजादी के आंदोलन में जेल भी गए थे. बाद में उन्होंने 1967 के आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया. वह 1970 और 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. वाराणसी के कई बार विधायक और फिर मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के करीबी संबंध थे. हमने शतरुद्र प्रकाश से कर्पूरी ठाकुर के विषय में बात की. देखिए साक्षात्कार के प्रमुख अंश....
प्रश्न : केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की है. आपके उनसे अच्छे संबंध थे. आपके परिवार में उनका आना-जाना भी रहा है. आप इस घोषणा को कैसे देखते हैं?
उत्तर :देखिए यह बड़ी हिम्मत का काम है. इसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है. आज तक कर्पूरी जी पर किसी भी सरकार की निगाह ही नहीं गई. कांग्रेस से तो खैर उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वह कांग्रेस विरोधी विचारों वाले व्यक्ति थे. सोशलिस्ट विचारों के राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी हिस्सेदारी थी. वह बहुत साधारण और सरल व्यक्ति थे. वह लोकप्रिय बहुत थे. वह गांव-गांव पैदल जाते थे. वह लोगों के बीच में इतने ज्यादा रमे रहते थे कि उन्हें जननायक कहा जाता था. डॉ लोहिया के विचारों से आगे बढ़ने और मानने वालों के लिए यह बहुत ही खुशी का मौका है.
प्रश्न : कर्पूरी ठाकुर जी के विषय में कहा जाता है कि वह बहुत ही जमीनी नेता थे. उन्होंने अभावों में राजनीति की और हर तरह का संघर्ष भी किया. उनके विषय में यदि आप कोई यादगार किस्सा बता सकें.
उत्तर :उनके साथ तो कई किस्से और यादें हैं. डॉ लोहिया की मृत्यु हो गई 12 अक्टूबर 1967 में. उस समय सोशलिस्ट पार्टी थी. डॉ. लोहिया के जाने के बाद इस पार्टी के लोगों में आपसी संघर्ष हो गया. इंदिरा जी ने बांग्लादेश की विजय हासिल की थी. डॉ लोहिया के विचारों में था कि कांग्रेस इस देश का भला नहीं कर सकती है. कांग्रेस का वंशवाद राजनीति की सबसे बड़ी बुराई थी. कर्पूरी ठाकुर जी कहते थे कि गंगा को साफ करने से अच्छा है कि गंगोत्री को साफ करो. देश में नौ राज्यों ने गैर कांग्रेसी सरकारें बनी थीं, लेकिन जब तक केंद्र में सरकार नहीं बदली जाएगी, तब तक बड़ा परिवर्तन नहीं हो सकेगा. कर्पूरी जी डॉ लोहिया को मानने वाले थे. राजनारायण जी से भी उनका बहुत अच्छा संबंध था.