बाघों से आबाद हुआ सरिस्का (ETV Bharat Alwar (File Video)) अलवर : करीब 16 साल पहले बाघ विहीन होने से मायूस हुए पर्यटक इन दिनों सरिस्का के बाघों से आबाद होने से गदगद हैं. वर्तमान में सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़कर 43 तक पहुंच गया है. इससे पर्यटकों के लिए बाघों का दीदार करना आसान हो गया है. इतना ही नहीं बाघों के 13 नए शावक तो पिछले छह महीनों में सरिस्का में जन्में हैं.
सरिस्का में पहली बार बाघों की संख्या 40 पार :सरिस्का के नेचर गाइड लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व अब इतिहास रचने जा रहा है. पहली बार सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 40 के पार पहुंची है. सरिस्का को बाघों से आबाद रणथम्भौर से आने वाले बाघ-बाघिनों ने किया. करीब 16 साल पहले रणथम्भौर से पहला बाघ एयरलिफ्ट कर सरिस्का लाया गया था. इसके बाद सरिस्का पुनर्जीवित हो सका. वर्ष 2024 सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए खुशखबरी देने वाला रहा. पिछले 6 महीनों में सरिस्का टाइगर रिजर्व को 13 नए शावक मिले हैं. नए शावकों के आने से पर्यटक ही खुश नहीं हैं, बल्कि राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा भी खुशी जता चुके हैं.
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सरिस्का भी बन रहा पर्यटकों की पहली पसंद :टाइगरों की संख्या में बढ़ोतरी होने से देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए सरिस्का टाइगर रिजर्व पहली पसंद बन रहा है. प्रदेश में पांच टाइगर रिजर्व हैं. इनमें सबसे ज्यादा बाघ रणथम्भौर में 73, सरिस्का में 43, करौली-धौलपुर में 9, रामगढ़ में 6 और मुकुंदरा में 2 बाघ हैं. बाघों की संख्या बढ़ने से सरिस्का में पर्यटकों की संख्या में भी हर साल इजाफा हो रहा है. इसका कारण है कि यहां पर्यटकों को अब आसानी से बाघों की साइटिंग होना. सरिस्का में एक सीजन में 75 हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं.
अलवर बफर रेंज लुभा रहा पर्यटकों को :मानसून के दौरान सरिस्का में मात्र पांडुपोल रूट ही पर्यटकों के लिए खुला है. शेष रूट पर सफारी की अनुमति नहीं है, लेकिन सरिस्का का अलवर बफर रेंज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना है. मानसून के दौरान अलवर बफर रेंज में पर्यटकों के लिए सफारी की अनुमति है. वर्तमान में यहां 7 बाघ हैं, जो पर्यटकों को खूब दिख रहे हैं. इस कारण पर्यटक अलवर बफर रेंज की सफारी करने पहुंच रहे हैं.
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16 सालों में ये हुआ :कुछ सालों पहले सरिस्का में बाघों का कुनबा पूरी तरह खत्म हो गया था. नतीजतन सरकार को वर्ष 2005 में सरिस्का को बाघ विहीन घोषित करना पड़ा. बाघों के सफाए से सरिस्का घूमने आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी घट गई, लेकिन सरकार ने सरिस्का टाइगर रिजर्व को फिर से आबाद करने की योजना बनाई और रणथम्भौर से बाघों से पुनर्वास करवाया. देश में पहली बार 2008 में एक बाघ रणथम्भौर से एयरलिफ्ट कर सरिस्का लाया गया. इसके बाद और बाघ और बाघिनों को रणथम्भौर से सरिस्का लाया गया. शुरुआती दौर में यहां बाघों का कुनबा नहीं बढ़ पाया और रणथम्भौर से लाए बाघ ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहे, लेकिन बाद में यहां बाघों का कुनबा बढ़ने लगा. करीब 16 साल में यहां बाघों का कुनबा बढ़कर 43 तक पहुंच गया.