रांची: झारखंड दौरे पर आए भारत सरकार के इस्पात सचिव एन एन सिंहा ने कहा कि एचईसी को सोचना होगा कि 50-60 साल पुराने अपने टेक्नोलॉजी के जरिए वर्तमान टेक्नोलॉजी युग में शामिल नहीं हो सकते हैं. इसलिए उसे अपने तरीके को बदलना होगा. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि आम तौर पर कस्टमर की शिकायत यह रहती है कि एचईसी समय पर वर्क ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाता है. इस मुद्दे को भी दूर करना होगा.
केन्द्र सरकार द्वारा एचईसी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई योजना बनाए जाने संबंधी सवाल का जवाब देते हुए एन एन सिन्हा ने कहा कि हैवी इंडस्ट्री मंत्रालय इसपर काम कर रहा है. सेल और मेकॉन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शिरकत करते हुए एन के सिन्हा ने कहा कि तकनीकी युग में हर इंडस्ट्री को बदलते समय के साथ-साथ अपने आपको भी इम्प्रूव करके रखना होगा तभी वो जिंदा रह सकता है.
दुनिया में भारत सबसे ज्यादा स्टील का प्रोडक्शन और खपत करने वाला देश
भारत देश का स्टील इंडस्ट्री दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है जिसमें काफी संभावनाएं हैं. इसे ध्यान में रखते हुए रांची झारखंड में इस तरह का आयोजन किया गया जिसमें भविष्य की रणनीति और कमियों को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा रही है जो बहुत ही अच्छी पहल है. सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा है कि भारत दुनिया के देशों में सबसे तीव्र गति से स्टील प्रोडक्शन और कन्जम्शन करने वाला देश है.
इस वर्ष भारत में 13.5% की दर से स्टील की खपत बढी है. 2023-24 में भारत में 136 मिलियन टन स्टील की खपत हुई है, जबकि पूरे विश्व में देखें तो मात्र 0.5% है. 2017 में बनी स्टील पॉलिसी के तहत हमारा लक्ष्य है. देश में 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन करने का है, जिसके तहत प्रत्येक स्टील कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती है. यदि बात करें सेल की तो वर्तमान में 20 मिलियन टन हमारी उत्पादन क्षमता है जिसे हम प्रतिवर्ष 35 मिलियन टन क्षमता करने का लक्ष्य बना रखा है.