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Special : बायोडायवर्सिटी का नायाब उदाहरण है जयपुर की किशनबाग वानिकी परियोजना, पर्यटन में आई तेजी - International Biodiversity Day

International Biodiversity Day 2024, आज विश्व जैवविविधता दिवस है. जैव विविधता के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता और धरती पर मौजूद जंतुओं व पौधों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जैवविविधता दिवस मनाया जाता है. इस खास मौके पर आज ईटीवी भारत आपको जयपुर के एक ऐसे स्थल से रूबरू करवाने जा रहा है, जो अपने आप में एक बड़ा बायोडायवर्सिटी का उदाहरण है. किशनबाग वानिकी परियोजना के पर्यटन में तेजी आई है. इस खास रिपोर्ट में जानिए कैसे निखरी यह परियोजना.

INTERNATIONAL BIODIVERSITY DAY
किशनबाग वानिकी परियोजना (फोटो : ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 22, 2024, 10:20 AM IST

Updated : May 22, 2024, 12:34 PM IST

किशनबाग वानिकी परियोजना (वीडियो : ईटीवी भारत)

जयपुर. शहर में बायोडायवर्सिटीका उदाहरण है किशनबाग वानिकी परियोजना. यह परियोजना न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा दे रही है बल्कि छात्र यहां रेतीले टीबे, चट्टानें, जीव जंतु, रेगिस्तानी वनस्पति का अध्ययन करने भी पहुंच रहे हैं. नाहरगढ़ की तलहटी में प्राकृतिक रूप से बने रेत के टीलों के रूप में अनुपयोगी पड़ी जेडीए की जमीन पर विकसित किए गए इस किशनबाग में राजस्थान में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार की बलुआ चट्टानों के बनने, बलुआ, ग्रेनाइट चट्टानों और आर्द्र भूमि में उगने वाले पौधों को माइक्रो क्लस्टर के रूप में विकसित किया गया है, जिन्हें साइनेज के जरिए अध्ययन भी किया जा सकता है.

रेतीले टीलों को स्थाई कर बनाया गया प्रोजेक्ट : किशन बाग जयपुर के लिए एक अनुपम देन है. इसे एक सामान्य शहरी उद्यान नहीं, बल्कि बायोडायवर्सिटी प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया है. नाहरगढ़ के रेतीले टीलों को स्थाई कर वहां पर पाए जाने वाले जीव जन्तुओं के प्राकृतिक वास को सुरक्षित कर संधारित किया गया. इस परियोजना में 64.30 हेक्टेयर भूमि पर विकास कार्य किया गया. रिटायर्ड हॉर्टिकल्चरिस्ट महेश तिवाड़ी ने बताया कि अरावली और मरुस्थल क्षेत्र में पाए जाने वाले वनस्पति और घास की विभिन्न प्रजातियों के बीजारोपण और पौधारोपण करते हुए इसे विकसित किया गया. यहां विभिन्न रेगिस्तानी वनस्पति प्रजातियों के लगभग 7 हजार पेड़ लगाए गए, जिसमें खेजड़ी, इंद्रोक, हिंगोट, खैर, रोज, कुमठा, अकोल, धोंक, ढाक, कैर, गूंदा, लसोडा, बर्ना, गूलर, थोर, फोग, सिनाय, खींप, फ्रास, फालसा, रोहिडा, दूधी, चूरैल, पीपल, जाल, अडूसा, बुई, वज्रदंती, आंवल जैसी प्रजाति के पेड़-पौधे और मकडो, डाब, करड, सेवण, लापडा, लाम्प, धामण, चिंकी, जैसी प्रजाति की घास का बीजारोपण किया गया.

किशनबाग परियोजना को पर्यटन दृष्टि से इस तरह निखारा :

  • परियोजना क्षेत्र की बाउण्ड्री पर लगभग 4 किमी. लम्बाई में फेन्सिंग/टेलिंग
  • नर्सरी
  • रैम्प और पाथवे कुल लंबाई 1770 मीटर (स्टोन पाथवे 500, लकडी 360, कच्चा 750 मीटर)
  • आगंतुक केन्द्र मय शौचालय माईको हेबीटेट्स । (ग्रेनाइट हैबिटेट्स)
  • धोक हेबीटेट
  • रॉक एण्ड फोसिल्स कलस्टर
  • माइक्रो हेबीटेट्स 2 (आद्रभूमि वृक्षारोपण)
  • ब्यूइंग डैक
  • वॉटर बॉडी मय जेटी
  • पार्किंग (चौपहिया वाहन 26, दुपहिया वाहन 40)
  • प्रवेश प्लाजा मय टिकिट घर

प्रोजेक्ट में आई 11 करोड़ रुपए की लागत : यहां की जलवायु और मिट्टी के अनुसार इसे प्राकृतिक रेगिस्तानी थीम पर विकसित किया गया. परियोजना की विशेष प्रकृति को देखते हुए परियोजना के संधारण और प्रबन्धन के कार्य के लिए एक प्राइवेट कंपनी को काम भी सौंपा गया. 11 करोड़ रुपए की लागत से बने इस किशनबाग पार्क को दिसंबर 2021 में पर्यटकों के लिए खोला गया था, लेकिन लापरवाही की वजह से बायोडायवर्सिटी का यह केंद्र आग की चपेट में भी आ चुका है. इसे लेकर रिटायर्ड हॉर्टिकल्चरिस्ट महेश तिवाड़ी ने बताया कि फॉरेस्ट एरिया की तर्ज पर यहां भी फायर लाइन क्रिएट करते हुए क्लोजर बनाए जाए, ताकि हवा की वजह से आग लंबे क्षेत्र में नहीं फैले.

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उन्होंने किशनबाग परियोजना को 10 + 2 साइंस के छात्रों और जियोलॉजी में ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों के लिए अनुपम वरदान बताया. साथ ही कहा कि यहां एक ही स्थान पर राजस्थान भर में जितनी भी चट्टाने है, उन्हें संजोते हुए उनके फॉर्मेशन की भी जानकारी शेयर की गई है. जैव विविधताओं में आए बदलाव को भी यहां स्पष्ट किया गया है. इसलिए इसे छात्रों और युवा पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्धन केंद्र भी कहा जा सकता है.

Last Updated : May 22, 2024, 12:34 PM IST

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