नई दिल्ली:राजधानी की खराब होती आबोहवा का असर लोगों के स्वास्थ्य पर कई तरह से पड़ रहा है. इसमें पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी शामिल है. दरअसल पर्यावरण और प्रदूषण संयुक्त रूप से जीन में भी बदलाव कर रहे हैं, जो न संक्रामक व गैर संक्रामक बीमारियों को भी दावत दे रहे हैं. आईवीएफ क्लीनिक पर पहुंचने वाले लोगों की बढ़ती संख्या तो यही कहती है.
हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है. इस दिन आईवीएफ तकनीक से पहली बार बच्चे का जन्म हुआ था. चूंकि महिलाओं में बांझपन की बात तो बहुत होती है, पर जब बात पुरुषों के बांझपन की आती है तो इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. इसलिए इस बार की थीम मेल इनफर्टिलिटी यानी पुरुष में बांझपन रखी गई है. इस अवसर पर महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर जागरूक किया जाएगा. रिप्रोडक्टिव हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. संदीप तलवारबताती हैं कि पुरुषों में इनफर्टिलिटी 1.2 से लेकर 2 प्रतिशत की रफ्तार से हर साल बढ़ रही है.
35 वर्ष के ऊपर के पुरुषों में बढ़ रही है समस्या:उन्होंने बताया कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में बांझपन के 50 प्रतिशत मामले पुरुष बांझपन के हैं. कोरोनकाल में यह आंकड़े 16 प्रतिशत हुआ करते थे. ज्यादातर मामले 35 या उससे अधिक वर्ष के पुरुषों में देखे जा रहे हैं. भारत में दिल्ली को सबसे कम प्रजनन दर वाला राज्य भी माना जाता है. पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण तनाव है.