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रेसीडेंसी कोठी का नाम अब शिवाजी कोठी, विरोध में अहिल्याबाई के नाम का बैनर

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की कर्मस्थली रही इंदौर में रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी के नाम पर रखे जाने का विरोध शुरू हो गया है.

Indore Residency Kothi
रेसींडेंसी कोठी पर विरोध में अहिल्याबाई के नाम का बैनर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 9 hours ago

इंदौर।अहिल्याबाई होलकर के अनुयायी धनकर समाज के लोगों ने रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी के नाम पर रखे जाने का विरोध किया है. इसके साथ ही समाज के लोगों ने अहिल्या बाई के नामकरण वाला बोर्ड रेजिडेंसी पर लगा दिया. दरअसल, अनुयायियों का कहना है कि इंदौर नगर निगम परिषद द्वारा पूर्व में भी संयोगिता राजे होलकर स्कूल का नाम बदलने का प्रयास किया था. अब रेसीडेंसी कोठी का नाम अहिल्याबाई के नाम पर ना करते हुए शिवाजी कोठी रखा गया. इसको लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

इंदौर में अहिल्याबाई होल्कर की जन्मशती का इंतजार

इंदौर नगर निगम की बैठक में दो दिन पहले शहर के रेजिडेंसी क्षेत्र में मौजूद प्राचीन इमारत रेसीडेंसी कोठी का नाम महाराजा शिवाजी के नाम पर करने के प्रस्ताव पर मोहर लगी थी. इस प्रस्ताव की जानकारी लगने पर अहिल्याबाई होलकर के अनुयायी और धनगर समाज के लोगों को आपत्ति है. इंदौर में अहिल्याबाई होल्कर की जन्मशती के अवसर पर उनके नाम पर रेजिडेंसी कोठी का नाम होना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. संस्था पुण्य श्लोक के जितेंद्र थोराट ने बताया "अहिल्याबाई होल्कर ने देश के 12 ज्योतिर्लिंग पर विश्राम भवन एवं कई बड़े निर्माण कार्य करवाए थे. वहीं इंदौर में उनकी कर्मस्थली रही है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इंदौर नगर निगम परिषद उनके जन्मशती वर्ष में भी रेजिडेंसी कोठी का नाम अहिल्याबाई होलकर के नाम से नहीं करना चाहती."

रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी के नाम पर रखे जाने का विरोध शुरू (ETV BHARAT)

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महापौर से मिलकर विरोध दर्ज कराने का फैसला

समाज के लोगों का कहना है कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव से भेंट करके विरोध जताया जाएगा, जब तक कोठी का नाम अहिल्याबाई होलकर के नाम पर नहीं हो जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा. बता दें कि इंदौर नगर निगम की परिषद ने रेसीडेंसी कोठी जिस क्षेत्र में है, उस क्षेत्र का नाम धार के महाराजा रहे राजा बख्तावर सिंह के नाम पर किया था. दरअसल, रेजिडेंसी क्षेत्र में जिस पेड़ पर स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान राजा बख्तावर सिंह को फांसी दी गई थी, वह पेड़ यहां आज भी मौजूद है. बीते साल ही 21 जून को नगर निगम ने रेसीडेंसी क्षेत्र का नाम राजा बख्तावर सिंह के नाम पर किया था. हालांकि अब रेसीडेंसी कोठी का नाम महाराजा शिवाजी के नाम पर किया गया है, जिसे लेकर विरोध के सुर उठ रहे हैं.

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