इंदौर: गौतमपुरा में हर साल दीपावली के दूसरे दिन आयोजित होने वाला हिंगोट युद्ध एक परंपरागत और साहसिक आयोजन है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों और बाहरी लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है. हर साल की तरह इस बार भी गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध के दौरान रोमांच और परंपरा का अद्वितीय संगम देखने को मिला, जहां गांव के दो दल रुणजी का तुर्रा दल और गौतमपुरा का कलंगी दल ने अपने-अपने शौर्य और साहस का प्रदर्शन किया.
तुर्रा दल और कलंगी दल के बीच हुआ हिंगोट युद्ध
इस वर्ष कलंगी दल में योद्धाओं की संख्या अधिक दिखाई दी, जबकि तुर्रा दल की ओर से योद्धाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही. हालांकि, इसने मुकाबले की गंभीरता और संघर्ष की भावना को बिल्कुल भी कम नहीं होने दिया. दोनों पक्षों के योद्धाओं ने बगैर किसी डर के हिंगोट युद्ध का हिस्सा बनकर परंपरा को निभाया और अपने दल की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अद्भुत जज्बा दिखाया. गौतमपुरा के इस वार्षिक आयोजन में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस द्वारा सुरक्षा इंतजाम किए गए थे.
प्रशासन ने किए थे खास इंतजामात
गौतमपुरा थाना प्रभारी अरुण सोलंकी ने बताया, ''इस बार आयोजन के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर 280 पुलिस जवान तैनात किए गए थे, ताकि भीड़ पर नियंत्रण रखा जा सके और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके. इसके अलावा, 160 कोटवार, नगर सैनिक और नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी पूरे समय मौके पर मुस्तैद रहे. इन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.''
घायलों की त्वरित चिकित्सा व्यवस्था
हिंगोट युद्ध में हर साल कुछ लोगों के घायल होने की आशंका रहती है और इस बार भी 15 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है. हालांकि, राहत की बात यह है कि कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ. एसडीएम रवि वर्मा ने बताया, ''घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पहले से ही इंतजाम किए गए थे. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. अभिलाष शिवरिया के नेतृत्व में मौके पर 5 एंबुलेंस तैनात की गई थीं, ताकि घायल योद्धाओं को त्वरित उपचार दिया जा सके. चिकित्सा दल ने सक्रियता से घायलों का उपचार किया और स्थिति को नियंत्रण में रखा.''