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मिर्जापुर के शशांक ने एक मिनट में 89 बार बजाई छोटी अंगुली, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड शामिल हो गया नाम - World record of Shashank Srivastav

मिर्जापुर वासलीगंज के रहने वाले शशांक श्रीवास्तव एक फिर अपने अनोखे कारनामे के लिए चर्चा में हैं. इस बार शशांक ने अपने बाएं हाथ की छोटी अंगुली को एक मिनट में 89 बार चटका कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम शामिल करा लिया है. इसके पहले शशांक ने 30 दिनों में 50 से अधिक कविताएं लिखी थीं. World record of Shashank Srivastav

मिर्जापुर के शशांक श्रीवास्तव
मिर्जापुर के शशांक श्रीवास्तव (Photo Credit-Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 8:15 PM IST

मिर्जापुर के शशांक श्रीवास्तव ने बनाया अनोखा रिकार्ड. (Video Credit-Etv Bharat)

मिर्जापुर : समर्पण की भावना से किसी कार्य में लग जाएं तो सफलता जरूर मिलती है. इस कहावत को सच कर दिखाया है मिर्जापुर वासलीगंज के रहने वाले शशांक श्रीवास्तव ने. शशांक ने एक मिनट में अपने बाएं हाथ की छोटी अंगुली को 89 बार बजा कर इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. इसके पहले शशांक ने कोरोना काल में 30 दिनों में 50 से अधिक कविताएं लिखकर हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था.


शशांक श्रीवास्तव ने 16 जून को वीडियो बनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की साइट पर अपलोड किया था. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने 21 जून को मेल के माध्यम से बताया है कि 2025 के आने वाली किताब में उनके नाम को चयन कर लिया गया है. कुछ दिनों में कोरियर सर्विस के माध्यम मेडल सर्टिफिकेट उपलब्ध करा दिया जाएगा. बता दें, इसके पहले शशांक ने कोरोना काल में हार्डवर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है. 30 दिनों में 50 से अधिक कविताएं लिख कर व हर कविता 3 मिनट के अंदर लिखकर देश व शहर का नाम रोशन किया था. शशांक श्रीवास्तव एक अच्छे गायक के नाम से भी जाने जाते हैं.

शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि गूगल पर बैठकर कुछ न कुछ देखता रहता हूं. ऐसी कौन सी है जो 140 करोड़ लोगों से अलग पहचान बना सकती है. जब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की साइट पर गया, तो देखा 30 सेकंड से लेकर एक मिनट के अंदर अद्भुत काम लोग कर जाते हैं. किसी को रिकार्ड तोड़ पाना या बना पाना मुश्किल होता है तो मैं भी अपने बाएं हाथ की छोटी अंगुली को देखा बहुत कम टाइम में ज्यादा बार बोलती है. मैं इसका वीडियो बनाकर अपलोड किया था. इसको इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड ने दर्ज कर लिया है. 40 से 50 सदस्य इसका निर्णय करते हैं, तब जाकर नाम दर्ज होता है. इसका श्रेय हम अपने माता-पिता और कृष्ण भगवान को दूंगा.


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