गोड्डा:लोकसभा 2024 का चुनाव संपन्न होते ही झारखंड में राज्य चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है. इसी साल के अंत तक झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी दल लोकसभा चुनाव नतीजे की विधानसभा वार समीक्षा करने में जुटे हैं. कौन कहां से आगे रहे और कौन कहां पीछे पीछे छूट गए इस बात की समीक्षा की जा रही है.
हालांकि यह भी सच है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में 14 में 12 सीटें एनडीए जीती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में रघुवर सरकार की बुरी तरह हार हुई थी. यहां तक की रघुवर दास खुद की सीट भी नहीं बचा सके थे.
संथाल परगना में हैं कुल 18 विधानसभा
संथाल परगना के छह जिलों में कुल 18 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को संथाल की तीन लोकसभा में दो सीट दुमका और गोड्डा में जीत मिली थी. वहीं राजमहल सीट झामुमो के खाते में गई थी. जबकि उसी साल विधानसभा चुनाव में कुल 18 विधानसभा सीटों में महज चार सीट ही भाजपा के खाते में गई थी. जिनमें राजमहल से अनंत ओझा, गोड्डा से अमित मंडल और देवघर से नारायण दास के अलावा सारठ से रणधीर सिंह का नाम शामिल है.
राजमहल में पिछड़ रही भाजपा
वहीं लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम पर नजर डालें तो राजमहल लोकसभा में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र में सभी सीटों पर झामुमो को बढ़त मिली. भाजपा की कब्जे वाली सीट राजमहल जहां से अनंत ओझा विधायक हैं वहां भी झामुमो को 3603 मतों की बढ़त मिली. वहीं पाकुड़ विधानसभा में जहां कांग्रेस कोटे से मंत्री आलमगीर आलम हैं वहां झामुमो को लगभग 79 हजार वोटों की बढ़त मिली. इसके आलावा बोरियो, हेमंत सोरेन की सीट बरहेट, लिट्टीपाड़ा और महेशपुर में झामुमो की बढ़त मिली है.
दुमका लोकसभा चुनाव परिणाम पर एक नजर
वहीं दूसरी ओर दुमका लोकसभा की बात करें इस सीट से झामुमो के नलिन सोरेन ने जीत दर्ज की है, लेकिन कुल छह सीटों में झामुमो को नलिन की खुद की सीट शिकारिपाड़ा और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो की सीट नाला और इरफान अंसारी की सीट पर बड़े अंतर से वोटों की बढ़त मिली. वहीं भाजपा को बसंत सोरेन की सीट दुमका, सीता सोरेन की खुद की सीट जामा और भाजपा के रणधीर सिंह वाली सीट पर मामूली अंतर 1142 वोटों की बढ़त मिली.