रांची: झारखंड में इंडिया ब्लॉक की नई सरकार 28 नवंबर को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में शपथ लेने वाली है. इस सरकार में झामुमो, कांग्रेस, राजद के साथ-साथ क्या भाकपा माले भी शामिल होगा या नहीं यह बड़ा सवाल राज्य की राजनीति में बना हुआ है. ऐसे में ईटीवी भारत ने झारखंड भाकपा माले के प्रदेश सचिव मनोज भक्त से बात की.
सरकार में शामिल होने पर फैसला 01-02 दिसंबर को
झारखंड सीपीआई माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि 28 नवंबर को नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि सीपीआई माले नई सरकार में शामिल होगा या नहीं इसका फैसला 01 और 02 दिसंबर को होनेवाली पोलित ब्यूरो की बैठक में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले 29 नवंबर को स्टेट स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होगी. जिसमें विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा के साथ-साथ इस बात पर पार्टी नेताओं का ओपिनियन लिया जाएगा कि सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर उनकी राय क्या है.
हमारी जिम्मेवारी और जवाबदेही बढ़ी-मनोज भक्त
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सीपीआई माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि पिछली विधानसभा में हमारे एक सदस्य थे, लेकिन इस बार हमारी संख्या दो है. जिन दो विधानसभा सीट से हमारे उम्मीदवार विजयी हुए हैं, वहां से कभी एके राय, विनोद बिहारी महतो, गुरुदास चटर्जी, आनंद बाबू जैसे लोगों ने प्रतिनिधित्व किया था. ऐसे में हमारी जवाबदेही और बढ़ जाती है.
जनता से जो वादे किए हैं, उसे पूरा करना जरूरी
सीपीआई माले के प्रदेश सचिव मनोज भक्त ने कहा कि हम महागठबंधन में होते हुए भी सरकार का हिस्सा इसलिए नहीं बनते हैं, क्योंकि हम यह देखते हैं कि हम जनता से जो वादे किए हैं, हम जिन मुद्दों और संघर्ष की बात करते रहे हैं उसे पूरा कर पाएंगे की नहीं . झारखंड में विधानसभा चुनाव में हमारे इंडिया गठबंधन ने कई वादे किए हैं. अब वो वादें पूरे हों इसके लिए भी जिम्मेवारी निभानी जरूरी है.
बगोदर की हार का दुख
सीपीआई माले के राज्य सचिव ने कहा कि सिर्फ माले को नहीं, बल्कि राज्य की जनता को भी विनोद सिंह की हार का गम है. उन्होंने पिछले पांच वर्षों में विपक्ष के रूप में बीजेपी को बौना कर दिया था. उन्होंने सरकार का समर्थन के साथ-साथ क्रिएटिव आलोचना भी की.
धनवार में इस वजह से जीत गए बाबूलाल
माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि धनवार में बाबूलाल मरांडी की हार तय थी, लेकिन जेएमएम और माले के बीच आपसी सामंजस्य नहीं बनने की वजह से बाबूलाल जीत गए. उन्होंने कहा कि 2019 में हम वहां रनरअप थे, इसलिए हमारा दावा पुख्ता था.
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