पटना: भारत आजादी के 78वें साल का जश्न मना रहा है. इस जश्न के बीच हम आजादी की लड़ाई के उन नायकों को भी याद कर रहे हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने अभूतपूर्व योगदान से हिंदुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाई. वहीं मसौढ़ी अनुमंडल के धनरूआ प्रखंड के नदवां पंचायत की ज्ञानी देवी जिन्होंने अखबार के जरिए क्रांतिकारियों के बीच क्रांति का जोश और जुनून पैदा करती थी.
ज्ञानी देवीक्रांतिकारियों में भरती थीं जोश:मसौढ़ी में तीन क्रांतिकारी महिला वीरांगना थी. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को चना चबाने को मजबूर कर दिया था. जिसमें ज्ञानी देवी, महेश्वरी देवी और भगजोगा देवी शामिल हैं. ज्ञानी देवी जिनके पति स्वर्गीय सुकृत नारायण सिंह जहानाबाद में गांधी मैदान के पास एक श्रीहरि प्रेस छापाखाना चलाते थे. जहां बागी अखबार का संपादन करते थे और अपने पति के साथ ज्ञानी देवी उनके कंधे से कंधे मिलाकर कलम की ताकत से उन क्रांतिकारी में जोश भरते थे.
100 वर्षीय 18 महीने अस्वस्थ: 100 वर्षीय ज्ञानी देवी का स्वास्थ्य खराब चल रहा है. उन्होंने बताया कि उनके पति सुकृत नारायण सिंह श्री हरि छापाखाना चलाते हुए क्रांतिकारियों में जोश भरते थे और हम उस अखबार को रात 2:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक कई क्रांतिकारी के बीच जाकर उन्हें देते थे.
जेल में बीती 18 महीने :उन्होंने बताया कि एक रात अंग्रेजों का छापाखाना पर छापेमारी हुई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. करीब 18 महीने तक उन्हें जेल में बंद कर दिया गया और पुलिस पिटाई की गई. जिसमें गंभीर छोटी आई थी, उसके बाद बीमारी से 17 जुलाई 1957 का उनका देहांत हो गया था. देहांत के बाद वह रुकी नहीं बल्कि इनके अंदर और भी देश की आजादी का जोश और जज्बा और जुनून के साथ काम करना शुरू किया फिर अपने पति के छोड़े हुए काम को शुरुआत करते हुए लोगों में क्रांति भरने लगी.