शिमला: स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिमाचल की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. यहां एम्स बिलासपुर, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चमियाना, रीजनल कैंसर सेंटर शिमला, मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल शिमला और 6 मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. इतना मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद प्रदेशभर से हर साल 9.50 लाख मरीज इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाते हैं जिससे सकल घरेलू उत्पाद में 1,350 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.
इसको लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा लोगों को प्रदेश में स्वास्थ्य लाभ के लिए सरकार अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और मशीनरी की खरीद पर करीब 1,570 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी ताकि मरीजों को प्रदेश से बाहर न जाना पड़े. सीएम सुक्खू ने शिमला में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र का कायाकल्प करने की दिशा में काम कर रही है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों को न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, ऑर्थोपेडिक और अन्य विभागों में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा के साथ स्तरोन्नत किया जा रहा है. इससे डॉक्टरों का कार्यभार कम होगा और उपचाराधीन मरीज भी लाभान्वित होंगे. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी शिमला और डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय टांडा में अत्याधुनिक पैट स्कैन और एमआरआई मशीनें स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है. इन्हें जल्द ही जनता को समर्पित किया जाएगा.