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"केंद्रीय बजट हिमाचल के लिए निराशाजनक", राजीव सूद ने बताई क्या है सबसे बड़ी चुनौती - UNION BUDGET 2025

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद ने केंद्रीय बजट 2025 को हिमाचल प्रदेश के निराशाजनक बताया है.

UNION BUDGET 2025
केंद्रीय बजट 2025 (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 2, 2025, 7:47 AM IST

शिमला: केंद्रीय वित्त मंत्री ने शनिवार को बजट पेश किया, जिसमें कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद से बातचीत की.

राजीव सूद ने कहा, "बजट में हिमाचल प्रदेश की बात करें तो प्रदेश के लिए तो यह केंद्रीय बजट निराशाजनक है, क्योंकि पिछले 10-15 सालों से ये सुन रहे हैं कि यहां विशेष पैकेज दिया जाएगा. फिर चाहे आपदा के लिए पैकेज हो या फिर अन्य. इतना पैसा नहीं मिल पाया कि राजधानी सहित प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर सके या फिर अपनी कोई स्कीम शुरू कर सके. सेंटर की जो स्कीम आ रही है, एक तरह से उन्हीं को प्रमोट कर रहे हैं, लेकिन उसमें भी कहीं न कहीं कदम पीछे खींचना पड़ता है."

राजीव सूद, आर्थिक मामलों के जानकार (ETV Bharat)

ग्लोबल प्रॉस्पेक्ट से चुनौतियां

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद ने कहा कि जहां तक देश की बात करें तो इस समय ग्लोबल प्रॉस्पेक्ट से बड़ी चुनौतियां हैं. अमेरिका में देखेंगे तो वहां पर ट्रंप सरकार आई है, जिसने टैरिफ के बारे में बहुत कुछ बोला है. ट्रंप सरकार ने बोला कि इंडिया से इंपोर्ट होने वाले समान पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है. इस फैसले से हमारा ट्रेड डेफोसेस कम हो सकता है. यदि हमारा एक्सपोर्ट यूएसए को महंगा हो जाएगा तो फॉरेन एक्सचेंज में जो गैप है, वह बढ़ता ही जाएगा. वहां रशिया और यूक्रेन का युद्ध है. लिहाजा ग्लोबल ग्लोबल प्रॉस्पेक्टस की बड़ी चुनौती है, जिससे आज से हम आज जूझ रहे हैं और कौन से प्रश्न आज आउट ऑफ सिलेबस आ जाए, ये पता नहीं है.

'आंकी गई ग्रोथ से रही 2 प्रतिशत कम'

राजीव सूद ने कहा कि ग्रोथ तो हम 6.4 प्रतिशत अगले साल की आंक रहे हैं. पिछले वित्त वर्ष में भी इतनी ही ग्रोथ आंकी थी, लेकिन उससे 2 प्रतिशत कम ही आई है. कोशिश तो कर रहे हैं कि ऐसी प्रॉब्लम नहीं आएंगी, लेकिन कई चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं. ऐसे में बहुत बड़ी चुनौती है और इसे स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि हम एक ग्लोबल वर्ल्ड में रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसमें एक और विषय है कि पहले हम ग्लोबलाइजेशन की बात करते थे, लेकिन हमारी डॉमेस्टिक मार्केट ही इतनी बड़ी है कि यदि इसे ही ठीक से संभाल लें तो हमें बाकी देशों को देखने की जरूरत ही नहीं है. देश के लिए बनाई जाने वाली पॉलिसीज को यदि सही तरीके से ग्राउंड पर उतार दें तो हमें बाहरी देशों की तरफ देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद का मानना है, "हिंदुस्तान में ही इतना कारोबार किया जा सकता है कि ग्रोथ यही मिल जाएगी. यदि 22 सालों में हमारी 8 प्रतिशत ग्रोथ होती है, तो 2047 तक विकसित भारत का जो सपना देखकर बैठे हैं, वो पूरा हो सकता है, लेकिन जो ग्रोथ गिरकर 6 प्रतिशत हो गई है, उस स्थित में तो विकसित भारत का सपना 2047 से 2070 में पहुंच जाएगा. ऐसे में डबल डिजिट की ग्रोथ के लिए हमें कहीं न कहीं मोर क्रिएटिव, मोर इनोवेटिव अपने देश के अंदर ही देखना पड़ेगा और उसी पर अपनी योजनाएं बनाए, तो शत प्रतिशत सफलता मिलेगी."

ये भी पढ़ें: मिडिल क्लास को तोहफा, यहां समझिए कैसे मिलेगा 12 लाख तक की आय में टैक्स छूट का लाभ

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शिमला: केंद्रीय वित्त मंत्री ने शनिवार को बजट पेश किया, जिसमें कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद से बातचीत की.

राजीव सूद ने कहा, "बजट में हिमाचल प्रदेश की बात करें तो प्रदेश के लिए तो यह केंद्रीय बजट निराशाजनक है, क्योंकि पिछले 10-15 सालों से ये सुन रहे हैं कि यहां विशेष पैकेज दिया जाएगा. फिर चाहे आपदा के लिए पैकेज हो या फिर अन्य. इतना पैसा नहीं मिल पाया कि राजधानी सहित प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर सके या फिर अपनी कोई स्कीम शुरू कर सके. सेंटर की जो स्कीम आ रही है, एक तरह से उन्हीं को प्रमोट कर रहे हैं, लेकिन उसमें भी कहीं न कहीं कदम पीछे खींचना पड़ता है."

राजीव सूद, आर्थिक मामलों के जानकार (ETV Bharat)

ग्लोबल प्रॉस्पेक्ट से चुनौतियां

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद ने कहा कि जहां तक देश की बात करें तो इस समय ग्लोबल प्रॉस्पेक्ट से बड़ी चुनौतियां हैं. अमेरिका में देखेंगे तो वहां पर ट्रंप सरकार आई है, जिसने टैरिफ के बारे में बहुत कुछ बोला है. ट्रंप सरकार ने बोला कि इंडिया से इंपोर्ट होने वाले समान पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है. इस फैसले से हमारा ट्रेड डेफोसेस कम हो सकता है. यदि हमारा एक्सपोर्ट यूएसए को महंगा हो जाएगा तो फॉरेन एक्सचेंज में जो गैप है, वह बढ़ता ही जाएगा. वहां रशिया और यूक्रेन का युद्ध है. लिहाजा ग्लोबल ग्लोबल प्रॉस्पेक्टस की बड़ी चुनौती है, जिससे आज से हम आज जूझ रहे हैं और कौन से प्रश्न आज आउट ऑफ सिलेबस आ जाए, ये पता नहीं है.

'आंकी गई ग्रोथ से रही 2 प्रतिशत कम'

राजीव सूद ने कहा कि ग्रोथ तो हम 6.4 प्रतिशत अगले साल की आंक रहे हैं. पिछले वित्त वर्ष में भी इतनी ही ग्रोथ आंकी थी, लेकिन उससे 2 प्रतिशत कम ही आई है. कोशिश तो कर रहे हैं कि ऐसी प्रॉब्लम नहीं आएंगी, लेकिन कई चीजें हमारे हाथ में नहीं हैं. ऐसे में बहुत बड़ी चुनौती है और इसे स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि हम एक ग्लोबल वर्ल्ड में रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसमें एक और विषय है कि पहले हम ग्लोबलाइजेशन की बात करते थे, लेकिन हमारी डॉमेस्टिक मार्केट ही इतनी बड़ी है कि यदि इसे ही ठीक से संभाल लें तो हमें बाकी देशों को देखने की जरूरत ही नहीं है. देश के लिए बनाई जाने वाली पॉलिसीज को यदि सही तरीके से ग्राउंड पर उतार दें तो हमें बाहरी देशों की तरफ देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

आर्थिक मामलों के जानकार राजीव सूद का मानना है, "हिंदुस्तान में ही इतना कारोबार किया जा सकता है कि ग्रोथ यही मिल जाएगी. यदि 22 सालों में हमारी 8 प्रतिशत ग्रोथ होती है, तो 2047 तक विकसित भारत का जो सपना देखकर बैठे हैं, वो पूरा हो सकता है, लेकिन जो ग्रोथ गिरकर 6 प्रतिशत हो गई है, उस स्थित में तो विकसित भारत का सपना 2047 से 2070 में पहुंच जाएगा. ऐसे में डबल डिजिट की ग्रोथ के लिए हमें कहीं न कहीं मोर क्रिएटिव, मोर इनोवेटिव अपने देश के अंदर ही देखना पड़ेगा और उसी पर अपनी योजनाएं बनाए, तो शत प्रतिशत सफलता मिलेगी."

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