पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ये स्पष्ट किया कि यदि पति अपने नवजात बच्चे के पालन-पोषण के लिए पत्नी के पैतृक घर से धन की मांग करता है, तो ऐसी मांग दहेज की परिभाषा में नहीं आती है. जस्टिस विवेक चौधरी ने नरेश पंडित द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकृति देते हुए यह निर्णय सुनाया.
'नवजात बच्चे के पोषण के लिए धन की मांग दहेज नहीं' : याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत अपनी सजा को चुनौती हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता नरेश का विवाह सृजन देवी के साथ वर्ष 1994 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निचली अदालत के सभी आदेश रद्द कर दिए.
10 हजार रुपए के दहेज का था आरोप :1994 से लेकर इस दौरान उन्हें तीन बच्चे हुए- दो लड़के और एक लड़की. पत्नी ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के जन्म के तीन साल बाद, याचिकाकर्ता ने लड़की की देखभाल और भरण-पोषण के लिए उसके पिता से 10,000 रुपये की मांग की.