बांका:आज देशभर मेंजन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कंस के बंदीगृह में हुआ था. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने के बाद तुरंत बाद ही कारावास का ताला खुद-ब-खुद खुल गया और सभी पहरेदार बेसुध हो गए. मथुरा की जेल में माता देवकी की कोख से जन्म लेने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कैद से भले ही रिहा हो गये थे और बाद में अपने मामा कंस का वध कर अपने माता-पिता को भी उसके कैद से मुक्ति दिलाई थी लेकिन बांका में सबके पालनहार आज भी कैद में बंद हैं.
आज भी कैद में राधा-कृष्ण!:पंजवारा थाने के मलखाना में पड़ी हुई भगवान श्रीकृष्ण और राधा की एक मूर्ति को पिछले छह वर्षों से श्रद्धालुओं के पूजा-अर्चना और राग-भोग की जगह कारावास की सजा भोगनी पड़ रही है. यहां पंजवारा पुलिस की कैद में पड़े राधा-कृष्ण को कारागार से बाहर आने के लिए खुद ही किसी उद्धारक की तलाश है. मनुष्यों को अपराध करने के बाद सजा के तौर पर एक निश्चित अवधि के लिए कारागार में बंद किया जाता है लेकिन यहां चोरों की करनी की सजा खुद भगवान को भुगतनी पड़ रही है. हद तो यह है कि इस कारागार से मुक्ति कब मिलेगी, इसकी कोई तय समय सीमा भी नहीं है.
चोर फरार और भगवान गिरफ्तार:असल में 1 मई 2018 को पंजवारा थाना क्षेत्र के विक्रमपुर मोड़ पर अवस्थित घुटेश्वरनाथ महादेव मंदिर के कुंए में श्री राधा-कृष्ण जी की मूर्ति फेंकी हुई मिली थी, जोकि शायद किसी मूर्ति चोर गिरोह ने पुलिस द्वारा पकड़े जाने के भय से वहां फेंक दिया और खुद फरार हो गए. कुएं में मूर्ति फेंके जाने की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मूर्ति को कुएं से निकलवाकर थाने के मालखाना में लाकर बंद कर दिया. तब से लेकर आज तक भगवान श्रीकृष्ण राधारानी के साथ कारावास की सजा भुगत रहे हैं.