पटनाःदेश में तीसरी बार एनडीए की सरकार केंद्र में बनी है. इस बार बिहार से 8 मंत्री हैं. लेकिन इस बार मंत्रियों के विभाग को लेकर विपक्ष सवाल खड़ा कर रहा है कि महत्वपूर्ण विभाग बिहार के हिस्से नहीं आया है जबकि जो मंत्री बने हैं उनका कहना है कि महत्वपूर्ण विभाग है. जनता के लिए इन विभागों से काम होगा. दावा भले ही जनता से जुड़ा हुआ विभाग होने का किया जा रहा है लेकिन विशेषज्ञ का मानना है कि केवल मंत्री बनने से बिहार का विकास होने वाला नहीं है. बिहार को कुछ अलग से विशेष राज्य या विशेष पैकेज देना होगा.
राज्य के विकास की असीम संभावनाः केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से इस बार एमएसएमई, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा मंत्रालय, पंचायती राज पशुपालन डेयरी जैसे विभाग दिए गए हैं. इसके अलावा कृषि राज्य मंत्री और गृह राज्य मंत्री भी बनाया गया है लेकिन बिहार के विपक्ष की ओर से यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस बार बिहार को महत्वपूर्ण विभागों में से कोई भी विभाग नहीं मिला है. ऐसे तो ललन सिंह, गिरिराज सिंह, चिराग पासवान और उन मंत्रियों ने भी विपक्ष के आरोप का जवाब दिया है. कहा कि यह जनता से जुड़ा हुआ विभाग है. इसमें असीम संभावना है.
खाद्य प्रसंस्करण से क्या फायदा? अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की काफी आवश्यकता है. चिराग पासवान इसमें कुछ काम कर पाए तो बेहतर होगा. क्योंकि बिहार कृषि प्रधान राज्य है. बड़े पैमाने पर फलों और सब्जी का उत्पादन होता है. बिहार के किसानों को लाभ मिलेगा तो लोगों को यहां बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा.
"इसी तरह पशुपालन और डेयरी में असीम संभावना बिहार में है. पंचायती विभाग भी असीम संभावनाओं वाला विभाग है. कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में भी बिहार में कई काम हो सकते हैं. सही ढंग से इन विभागों में काम हुआ तो बिहार में ही लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा."-एनके चौधरी, अर्थशास्त्री
'बिहार का जीडीपी बढ़ेगा':एनके चौधरी बताते हैं कि फूड इंडस्ट्री में तो भारत की ही हिस्सेदारी पूरे विश्व में 6-7 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. बिहार में एग्रीकल्चर सेक्टर के कई प्रोडक्ट्स का पैकेजिंग कर निर्यात बढ़ाया जा सकता है. इससे बिहार का जीडीपी बढ़ेगा और लोगों के जीवन स्तर में काफी बदलाव भी आ जाएंगे. एमएसएमई सेक्टर में भी बिहार में अपार संभावनाएं हैं. 30 करोड़ रुपये तक आप यहां व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. डेयरी में बिहार की स्थिति काफी ठीक हुआ है. हम देश में चौथे-पांचवें स्थान पर आ गए हैं.
डेयरी प्रोडक्शन और चीनी मिल पर ध्यान देने की जरूरतः डेयरी प्रोडक्शन पर अगर ध्यान दिया जाए तो बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है. एक समय बिहार में देश की सबसे ज्यादा चीनी मिलें हुआ करती थीं. देश की 40 प्रतिशत तक चीनी उत्पादन बिहार में ही होता था. बिहार के अलग-अलग जिलों में 28-30 चीनी मिलें थीं जिनमें अभी मात्र 2-3 ही बचे हैं. इसके अलावा भी केंद्र सराकर हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र, मुजफ्फरपुर औद्योगिक क्षेत्र, बिहटा पटना सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र, कुमारबाग बेतिया औद्योगिक क्षेत्र, मारंगा पूर्णिया औद्योगिक क्षेत्र, वृहत औद्योगिक क्षेत्र बरारी भागलपुर और बेगूसराय औद्योगिक क्षेत्र थे जिनकी स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते चली गई. ऐसे में एक बार फिर से उम्मीद जगने लगी है.