जयपुर. रंगोत्सव की रंगत राजधानी के बाजारों में देखते ही बन रही है. त्योहार मनाने के लिए शहर वासी रंग, गुलाल, अबीर और पिचकारी खरीदने बाजारों में पहुंच रहे हैं. इस बार लोग अपनों के साथ सुरक्षित होली खेलने के लिए अरारोट, फल-फूल से बनी हर्बल गुलाल लेना पसंद कर रहे हैं, तो वहीं जयपुर की विरासत से जुड़े गुलाल गोटे की भी मार्केट में भारी डिमांड है.
सर्वार्थ सिद्धि योग सहित विभिन्न संयोगों में रविवार को होलिका दहन होगा. होली पर 50 साल बाद दो राशि कुंभ और मीन में त्रिग्रही योग रहेगा. इन योग-संयोग के बीच लोगों में भी इस बार त्योहार मनाने को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. होली के इस रंग में भंग ना पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए लोग अपनों के साथ होली खेलने के लिए हर्बल रंग, गुलाल खरीदने के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. जयपुर के त्रिपोलिया बाजार में सजी रंग-गुलाल की दुकानों पर शहरवासी बढ़-चढ़कर पहुंच रहे हैं.
गुलाल से नहीं होता रिएक्शन : रंग गुलाल के विक्रेता मोहम्मद इरफान ने बताया कि लोगों में हर्बल गुलाल की डिमांड है. ये हर्बल गुलाल अरारोट और फल-फूल के रंगों से तैयार की गई है. लोग अपनी हेल्थ का ध्यान रखते हुए और स्किन इन्फेक्शन से बचने के लिए हर्बल रंगों की ओर ही रुझान दिखा रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये रंग ब्राइट, खुशबूदार होते हैं और शरीर पर किसी तरह का रिएक्शन भी नहीं होता. हालांकि कुछ पक्के रंगों में केमिकल का इस्तेमाल जरूर किया गया है, लेकिन उसमें भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि वो शरीर को नुकसान ना पहुंचाएं.
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मुस्लिम कारीगर बनाते हैं गुलाल गोटा : उन्होंने बताया कि हर्बल रंग गुलाल ₹100 से शुरू होकर ₹200 में बाजार में उपलब्ध है. इस बार बाजार में फोग, ब्लास्टर, स्काई शॉट, स्प्रे आदि भी मौजूद है. इन फैंसी आइटम को लोग पसंद कर रहे हैं, लेकिन फिर भी नेचुरल कलर्स का ज्यादा स्कोप है. वहीं, होली ऐसा त्योहार है, जिसमें जयपुर की गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिलती है. यहां सवाई जय सिंह की ओर से बसाए गए मुस्लिम कारीगर आज भी मनिहारों के रास्ते में इस हिंदू पर्व के लिए गुलाल गोटा बनाने का काम करते हैं.
जयपुर की शाही गुलाल की खासियत गुलाल गोटा की कीमत 200 रुपए तक : गुलाल गोटा बनाने वाले मोहम्मद गुलरेज ने बताया कि जयपुर बसने से लेकर अब तक उनकी आठवीं पीढ़ी गुलाल गोटा बनाने का काम कर रही है. लाख का बना ये गुलाल गोटा 4 से 5 ग्राम का होता है, जिसमें हर्बल गुलाल भरकर 6 गुलाल गोटे का एक पैकेट तैयार कर दिया जाता है. बाजार में ये ₹150 से लेकर ₹200 तक का पैकेट उपलब्ध है.
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प्रजा पर गुलाल गोटा फेंकते थे राजा : उन्होंने बताया कि जयपुर के राजा-महाराजा पहले अपनी प्रजा के बीच होली खेलने निकला करते थे. वो हाथी पर बैठकर रास्ते में खड़ी जनता पर इन्हीं गुलाल गोटों को फेंका करते थे और जब ये गुलाल गोटा किसी बाशिंदे के लगता था, तो वो खुद को खुशनसीब समझता था. हालांकि अब ये गुलाल गोटा राज परिवार या जयपुर तक नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध हो चला है. वहीं, गुलाल गोटा बनाने वाले मोहम्मद शमशेर ने बताया कि होली का डांडा रोपने के साथ ही गुलाल गोटा बनाने का काम शुरू हो जाता है. गुलाल गोटा बनाने के लिए पहले लाख को धीमी आंच पर नरम किया जाता है, उसके बाद उसकी छोटी गोलियां बनाकर एक फूंकनी नुमा नलकी से उसे फुलाया जाता है, और उसे पानी से भरे बर्तन में रख दिया जाता है. बाद में इसमें हर्बल गुलाल भरकर पैक कर दिया जाता है. चूंकि ये पूरी तरह से प्राकृतिक है, इसलिए इससे किसी तरह का शारीरिक नुकसान भी नहीं पहुंचता.
बहरहाल, शहरवासी रंगोत्सव का दो दिवसीय पर्व होली और धुलंडी मनाने के लिए तैयार है, लेकिन इस बार पर्व पर अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सजग दिख रहे हैं. यही वजह है कि न सिर्फ वो अपनों के लिए हर्बल गुलाल खरीद रहे हैं, बल्कि जयपुर की विरासत से जुड़ते हुए उन्होंने अब गुलाल गोटा खरीदने में भी रुचि दिखाई है.