शिमला: लोकसभा चुनाव प्रचार में अचानक से हिमाचल रेजिमेंट की चर्चा सामने आ गई. हॉट सीट मंडी से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह ने देश की सेना में इस पहाड़ी राज्य के योगदान का जिक्र करते हुए हिमाचल रेजिमेंट की मांग उठा दी. यहां बता दें कि पहाड़ी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की मांग कई बार हो चुकी है. सबसे पहले प्रेम कुमार धूमल ने बतौर सांसद ये मुद्दा उठाया था. हिमाचल विधानसभा में इस बारे में प्रस्ताव भी पास हो चुके हैं. यही नहीं, देश की सेना के सुप्रीम कमांडर यानी राष्ट्रपति के समक्ष भी ये आग्रह हो चुका है. वर्ष 2021 में सितंबर माह में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हिमाचल आए थे. विधानसभा में आयोजित समारोह में उनके समक्ष हिमालयन रेजिमेंट की मांग दोहराई गई थी. इस तरह हिमाचल में कोई पहली बार ये मांग नहीं उठी है. अब सवाल ये है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी अपने दूसरे घर को इस बारे में कोई गारंटी देंगे?
सबसे पहले परमवीर की धरती हिमाचल की पुरानी मांग
सितंबर 2021 में संभवत पहली ऐसा हुआ था जब सेना के तीनों अंगों के सुप्रीम कमांडर के सामने हिमालयन रेजिमेंट की मांग हुई. तब हिमाचल विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हिमालयन रेजिमेंट की बात कही. हिमाचल और सेना के रिश्ते की बात की जाए तो देश का पहला परमवीर चक्र हिमाचल के ही महान वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था. वहीं, करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा को बलिदान उपरांत परमवीर चक्र दिया गया. हिमाचल के बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) हैं, उन्हें भी परमवीर चक्र मिला था. इसके अलावा हिमाचल के वीरों ने विभिन्न युद्धों में कई सैन्य सम्मान हासिल किए. देश की सेवा के लिए डेढ़ हजार से अधिक गैलेंट्री अवार्ड हिमाचल के वीरों को मिले हैं. ऐसे में हिमाचल की हिमालयन रेजिमेंट की मांग में दम है.
अकेले हिमाचल को न सही, सभी पहाड़ी राज्यों को मिलाकर दी जाए रेजिमेंट
देश की सेना में हिमाचल के योगदान की सभी सराहना करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य बड़े नेता अकसर हिमाचल के वीरों का तारीफ करते आए हैं. समय-समय पर हिमाचल की सरकारों ने तो यहां तक कहा है कि यदि अकेले इस पहाड़ी प्रदेश के लिए रेजिमेंट घोषित करना संभव नहीं है तो उत्तराखंड और जेएंडके को भी शामिल कर संयुक्त रूप से सभी राज्यों के लिए रेजिमेंट गठित कर दी जाए. हिमाचल के कई राजनेता भी सेना में रहे हैं. इनमें वर्तमान कैबिनेट मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल, पूर्व विधायक कर्नल इंद्र सिंह, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, शिमला से सांसद सुरेश कश्यप, पूर्व विधायक विक्रम जरियाल आदि का नाम शामिल है. मंडी से चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर कारगिल वॉर हीरो कहे जाते हैं.
सेना और हिमाचल का अटूट नाता
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का सेना से अटूट रिश्ता है. यहां की धरती की शौर्य परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैन्य अफसरों और जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है. करीब 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थल सेना में ही 55 हजार अफसर व जवान हैं. हिमाचल प्रदेश में चार लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं.