खानपान और जीवनशैली में बदलाव के कारण लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं. मोटापे के कारण शरीर में कई तरह की समस्याएं भी पैदा होती हैं, इसलिए ज्यादातर लोग ओबेसिटी को लेकर चिंतित हैं. ओबेसिटी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है जो शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण आम होती जा रही है. हर साल 26 नवंबर को हम मोटापे को कंट्रोल करने के तरीकों के बारे में जानने के लिए एंटी-ओबेसिटी डे मनाते हैं.
इस दिन के पीछे का इतिहास
एंटी-ओबेसिटी डे का इतिहास 2001 से शुरू होता है जब इसे भारत में VLCC द्वारा स्थापित किया गया था. मतलब, 2001 में, स्वास्थ्य पर केंद्रित एक भारतीय कंपनी VLCC की संस्थापक वंदना लूथरा ने पहला मोटापा विरोधी दिवस अभियान शुरू किया. इस पहल का उद्देश्य अधिक वजन से बचने और फिटनेस और स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वस्थ आदतों को अपनाने को प्रोत्साहित करना था. इस दिन को मीडिया में व्यापक रूप से दिखाया गया है और यह एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है.
VLCC अपने भागीदारों के साथ मिलकर एंटी-ओबेसिटी डे के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है. इनमें समूह परामर्श, स्वास्थ्य मेले, अग्रणी स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ चर्चा, मीडिया पहुंच और शैक्षिक कार्यशालाएं आदि शामिल हैं.
ओबेसिटी क्या है?
ओबेसिटी एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में अत्यधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को काफी हद तक बढ़ा देता है. किसी व्यक्ति को तब मोटा माना जाता है जब उसका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 से ज्यादा हो. ओबेसिटी अक्सर आनुवंशिकी, जीवनशैली और खाने की आदतों के संयोजन के कारण होता है.
ज्यादा वजन होने से कई स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादा वजन दिल पर दबाव डालता है और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है, जो रक्त वाहिकाओं और अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा, ज्यादा वजन होने से शरीर के लिए इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है, जिससे डायबिटीज हो सकता है. इसलिए, नियमित शारीरिक गतिविधि और संतुलित आहार के जरिए स्वस्थ वजन बनाए रखना जरूरी है.
मोटापा कैसे मापा जाता है?
मोटापा तब शुरू होता है जब किसी व्यक्ति का BMI (बॉडी मास इंडेक्स) 25 या उससे ज्यादा होता है. इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. यह निर्धारित करने के लिए कि किसी व्यक्ति को मोटापे से संबंधित बीमारियों का खतरा है या नहीं, उनके बीएमआई, कमर के आकार और अन्य जोखिम कारकों पर विचार किया जाता है.
मोटापा और बीमारियों की संभावना
अधिक वजन होने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि
- पित्ताशय की पथरी (Gallstones)
- अस्थमा
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- कोलेस्ट्रॉल का हाई लेवल
- एथेरोस्क्लेरोसिस
- हार्स्ट्रोट डिजीज
- कोलन, स्तन और गर्भाशय सहित कैंसर.
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी)
- प्रजनन क्षमता की समस्या
- जोड़ों में गंभीर दर्द और जकड़न (ऑस्टियोआर्थराइटिस)
- स्लीप एपनिया (जब नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट होती है).
- डायबिटीज का सबसे ज्यादा खतरा
- किडनी की समस्या
गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं, जैसे गर्भावधि डायबिटीज या प्री-एक्लेमप्सिया. ज्यादा वजन और मोटापे से आपकी उम्र भी कम हो सकती है, आपके मस्तिष्क के कार्य को नुकसान पहुंच सकता है, और अवसाद और कम आत्मसम्मान का खतरा बढ़ सकता है.
भारत में मोटापे की दर
आज, बहुत से लोग बहुत ज्यादा इम्पोर्टेड औरप्रोसेस्ड फूड पदार्थ खाते हैं, जो एक बड़ी समस्या का कारण बन रहा है. लगभग 43 फीसदी एडल्ट ज्यादा वेट वाले हैं और 16 फीसदी मोटे हैं. विश्व मोटापा एटलस 2024 के अनुमानों के अनुसार, 2035 तक, लगभग 3.3 बिलियन एडल्ट मोटे होंगे, और उनमें से 770 मिलियन से ज्यादा 5 से 19 वर्ष की आयु के युवा होंगे.
अन्य देशों की तुलना में, मोटापे की दर के मामले में भारत का स्थान अच्छा है. विश्व मोटापा एटलस 2024 रिपोर्ट में भारत 119वें स्थान पर है. 2022 तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पाया कि भारत में 7.27 फीसदी एडल्ट मोटे थे. हालांकि, विश्व मोटापा रिपोर्ट 2024 का अनुमान है कि 2020 से 2035 तक एडल्ट में मोटापे की दर सालाना 4.1 फीसदी और बच्चों में सालाना 6.2 फीसदी बढ़ेगी. यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि पेट का मोटापा, जो अधिक खतरनाक है, तेजी से बढ़ेगा.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और द लैंसेट द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में 40 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष पेट के मोटापे से पीड़ित हैं. अध्ययन में यह भी पाया गया कि 30 से 49 वर्ष की आयु की 10 में से लगभग 5 से 6 महिलाएं पेट के मोटापे से पीड़ित हैं, यह समस्या बड़ी उम्र की महिलाओं, शहरों में रहने वाली महिलाओं, अमीर व्यक्तियों और मांसाहारी लोगों में अधिक आम है.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हमने यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान की है)