शिमला: एक पटवारी ने 16 साल पहले महज एक हजार रुपये रिश्वत के रूप में लिए थे. लोअर कोर्ट ने पटवारी को बरी करने का फैसला सुनाया था. उस फैसले को हाई कोर्ट ने अगस्त महीने में पलट दिया था. अब अदालत ने पटवारी को दो साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है. मामला हमीरपुर जिला का है. इससे पहले हाई कोर्ट ने पटवारी को जमीन से जुड़े कुछ कागज बनाने की एवज में 1000 रुपए की रिश्वत लेने का दोषी ठहराते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने यह सजा सुनाई है.
सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि दोषी पटवारी के पद पर तैनात था. उसने उन दस्तावेजों को तैयार करने के लिए रिश्वत की मांग की थी, जिन्हें वह अपने आधिकारिक कर्तव्य के हिस्से के रूप में तैयार करने के लिए बाध्य था. ऐसे अपराधों को हल्के में नहीं देखा जा सकता. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए बनाया गया है. करप्शन लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रही है और इससे हल्के ढंग से नहीं निपटा जा सकता है. ऐसे मामलों में कोई भी अनुचित सहानुभूति सार्वजनिक अधिकारियों को बेधड़क रिश्वत मांगने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के 17 अगस्त 2010 के फैसले को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया था. अभियोजन पक्ष के द्वारा न्यायालय के समक्ष रख तथ्यों के अनुसार शिकायतकर्ता होशियार सिंह आईटीबीपी में कार्यरत था. वह 2 अक्टूबर 2008 को दो महीनों की वार्षिक छुट्टी पर अपने घर हमीरपुर जिला के गांव दलसेहडा आया था. उस समय गांव में बंदोबस्त का काम चल रहा था. इस दौरान उसकी भूमि की तकसीम नहीं की गई. उसने अपने वकील से इस बाबत बात की तो वकील ने कुछ जरूरी कागजात एकत्रित करने की सलाह दी. ताकि तकसीम का मामला दायर किया जा सके.