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"रेलवे लाइन को लेकर भ्रामक बयानबाजी न करें रवनीत सिंह बिट्टू, पहले अपने मंत्रालय की अच्छे से करें स्टडी" - VIKRAMADITYA SLAMS RAVNEET SINGH

हिमाचल प्रदेश में रेल परियोजनाओं को लेकर केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने निशाना साधा. जिस पर विक्रमादित्य सिंह ने पलटवार किया है.

Cabinet Minister Vikramaditya Singh
कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 19, 2025, 7:47 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 9:15 PM IST

शिमला: सुक्खू सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के बयान को भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 1 मार्च, 2023 से वर्तमान राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश में रेलवे विकास परियोजनाओं के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड को करीब 300 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. यह केंद्रीय रेल राज्य मंत्री के दावों का खंडन करता है, जो उनके बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन की प्रारंभिक अनुमानित लागत करीब 3,000 करोड़ रुपये थी, जिसमें केंद्र सरकार 75 फीसदी धनराशि देने के लिए प्रतिबद्ध है और भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपये आंकी गई है. लेकिन रेल लाइन के निर्माण की कुल लागत अब बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. इसके अतिरिक्त, भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़कर 1,100 करोड़ रुपये हो गई है. वहीं, केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया है, जिसके कारण भूमि अधिग्रहण पर पूरा खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किया जा रहा है".

कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह (ETV Bharat)

"केंद्रीय राज्य मंत्री के बयान में तथ्यों का अभाव"

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि रेल मंत्रालय की वेबसाइट वार्षिक पिंक बुक प्रकाशित करती है, जिसमें एक वित्तीय वर्ष के लिए नियोजित रेलवे निर्माण परियोजनाओं की सूची होती है. हालांकि, नवीनतम पिंक बुक अभी तक अपलोड नहीं की गई है, जिससे यह दावा सत्यापित करना असंभव है कि हिमाचल प्रदेश के लिए 11,806 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह राशि कोई विशेष अनुदान नहीं है, बल्कि केवल बजटीय अनुमान है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के लिए 1,289 करोड़ रुपये के आवंटित बजट के मुकाबले केवल 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, वर्ष 2022-23 में 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 730 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया और वर्ष 2023-24 में केंद्रीय बजट पेश होने तक आवंटित 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 936 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में कुल 3,867 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले केवल 1,991 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री बिट्टू के बयान में तथ्यों का अभाव है. ये बजटीय प्रावधान सभी राज्यों के लिए किए गए हैं और हिमाचल प्रदेश को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है. इसके विपरीत, कुछ अन्य राज्यों को रेलवे परियोजनाओं के लिए काफी अधिक वित्तीय सहायता दी गई है.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हिमाचल प्रदेश को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र सरकार से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है. ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों पर कोई उपकार नहीं, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं. वहीं विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर जैसे अन्य भाजपा नेता संवैधानिक रूप से अनिवार्य वित्तीय सहायता को केंद्र सरकार की ओर से एक उदार संकेत के रूप में पेश करते हैं.

"केंद्र एक कदम बढ़ाएगा तो हम दो कदम"

वहीं, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के प्रदेश सरकार के केंद्र से तालमेल के बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर विक्रमादित्य सिंह ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि केंद्र अगर सहयोग के लिए एक कदम बढ़ाएगा तो हम दो कदम बढ़ाएंगे. ताली दोनों हाथों से बजती है. केंद्र से हिमाचल को सहयोग मिलता रहे, हम इस दृष्टि के साथ चलते हैं. हमारा केंद्र सरकार के साथ कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जहां हिमाचल के हितों की अनदेखी होगी तो ऐसे मामलों को जरूर उठाया जाएगा.

विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2014 से 2024 तक के दस सालों में हिमाचल को 54,662 करोड़ जारी करने की बात कही है. इसके साथ विक्रमादित्य सिंह स्पष्ट किया कि केंद्र ने हिमाचल को ये कोई सौगात नहीं दी है, ये पैसा विभिन्न केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत मिला है. ऐसी ग्रांट देश के सभी राज्यों को मिलती है. ऐसे में इस ग्रांट पर हिमाचल के अधिकार है, फिर भी मैं इसके लिए केंद्र सरकार का आभार प्रकट करता हूं.

ये भी पढ़ें: "हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए सुखविंदर सरकार नहीं दे रही शेयर, 660 करोड़ रुपये करवाना है जमा"

शिमला: सुक्खू सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के बयान को भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 1 मार्च, 2023 से वर्तमान राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश में रेलवे विकास परियोजनाओं के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड को करीब 300 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. यह केंद्रीय रेल राज्य मंत्री के दावों का खंडन करता है, जो उनके बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन की प्रारंभिक अनुमानित लागत करीब 3,000 करोड़ रुपये थी, जिसमें केंद्र सरकार 75 फीसदी धनराशि देने के लिए प्रतिबद्ध है और भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपये आंकी गई है. लेकिन रेल लाइन के निर्माण की कुल लागत अब बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. इसके अतिरिक्त, भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़कर 1,100 करोड़ रुपये हो गई है. वहीं, केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया है, जिसके कारण भूमि अधिग्रहण पर पूरा खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किया जा रहा है".

कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह (ETV Bharat)

"केंद्रीय राज्य मंत्री के बयान में तथ्यों का अभाव"

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि रेल मंत्रालय की वेबसाइट वार्षिक पिंक बुक प्रकाशित करती है, जिसमें एक वित्तीय वर्ष के लिए नियोजित रेलवे निर्माण परियोजनाओं की सूची होती है. हालांकि, नवीनतम पिंक बुक अभी तक अपलोड नहीं की गई है, जिससे यह दावा सत्यापित करना असंभव है कि हिमाचल प्रदेश के लिए 11,806 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह राशि कोई विशेष अनुदान नहीं है, बल्कि केवल बजटीय अनुमान है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के लिए 1,289 करोड़ रुपये के आवंटित बजट के मुकाबले केवल 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, वर्ष 2022-23 में 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 730 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया और वर्ष 2023-24 में केंद्रीय बजट पेश होने तक आवंटित 1,289 करोड़ रुपये में से केवल 936 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में कुल 3,867 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले केवल 1,991 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री बिट्टू के बयान में तथ्यों का अभाव है. ये बजटीय प्रावधान सभी राज्यों के लिए किए गए हैं और हिमाचल प्रदेश को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है. इसके विपरीत, कुछ अन्य राज्यों को रेलवे परियोजनाओं के लिए काफी अधिक वित्तीय सहायता दी गई है.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हिमाचल प्रदेश को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र सरकार से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है. ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों पर कोई उपकार नहीं, बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं. वहीं विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर जैसे अन्य भाजपा नेता संवैधानिक रूप से अनिवार्य वित्तीय सहायता को केंद्र सरकार की ओर से एक उदार संकेत के रूप में पेश करते हैं.

"केंद्र एक कदम बढ़ाएगा तो हम दो कदम"

वहीं, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के प्रदेश सरकार के केंद्र से तालमेल के बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर विक्रमादित्य सिंह ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि केंद्र अगर सहयोग के लिए एक कदम बढ़ाएगा तो हम दो कदम बढ़ाएंगे. ताली दोनों हाथों से बजती है. केंद्र से हिमाचल को सहयोग मिलता रहे, हम इस दृष्टि के साथ चलते हैं. हमारा केंद्र सरकार के साथ कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जहां हिमाचल के हितों की अनदेखी होगी तो ऐसे मामलों को जरूर उठाया जाएगा.

विक्रमादित्य सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2014 से 2024 तक के दस सालों में हिमाचल को 54,662 करोड़ जारी करने की बात कही है. इसके साथ विक्रमादित्य सिंह स्पष्ट किया कि केंद्र ने हिमाचल को ये कोई सौगात नहीं दी है, ये पैसा विभिन्न केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत मिला है. ऐसी ग्रांट देश के सभी राज्यों को मिलती है. ऐसे में इस ग्रांट पर हिमाचल के अधिकार है, फिर भी मैं इसके लिए केंद्र सरकार का आभार प्रकट करता हूं.

ये भी पढ़ें: "हिमाचल में रेलवे विस्तार के लिए सुखविंदर सरकार नहीं दे रही शेयर, 660 करोड़ रुपये करवाना है जमा"

Last Updated : Feb 19, 2025, 9:15 PM IST
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