शिमला: हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को राजमार्गों का समय रहते उचित रख रखाव करने के आदेश दिए हैं, ताकि आने वाली बरसात में किसी भी आपदा से निपटा जा सके. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों की स्थिति अच्छी बनी रहे, ताकि नागरिकों को भोजन, ईंधन इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एनएचएआई को आदेश दिए कि वह भी बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच से बड़े बड़े पथरों और बड़ी चट्टानों को हटाए, ताकि नदी के पानी का बहाव तट से टकरा कर राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई नुकसान न पहुंचा सके. कोर्ट ने एनएचएआई और प्रदेश लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश स्टेट्स रिपोर्ट का आवलोकन करने के बाद यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि यद्यपि एनएचएआई ने पिछले वर्ष की बरसात में क्षतिग्रस्त अधिकांश सड़कों को दुरुस्त कर दिया है, लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस मामले से जुड़ी मीटिंग की कार्यवाही परेशान कर देने वाली तस्वीर पेश कर रही है.
मीटिंग की कार्यवाही के दौरान मुख्य सचिव ने बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों की बहाली के बाद, एनएचएआई ने जिला कुल्लू से बहने वाली ब्यास नदी के किनारे सुरक्षित रखने के संबंध में कोई उपाय नहीं किया है. इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि राजमार्ग की बहाली के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग की नदी से ऊंचाई काफी कम हो गई है और मानसून के मौसम के दौरान क्षति की पूरी संभावना है. उपायुक्त कुल्लू ने भी बताया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ संवेदनशील बिंदु ऐसे हैं जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, लेकिन एनएचएआई ने इस संबंध में कुछ भी नहीं किया है. बैठक में ड्रेनेज मुद्दे का भी उल्लेख है और ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान में लोक निर्माण विभाग की मशीनरी पर भरोसा किए बिना एनएचएआई ने नदी के तल से बड़े बड़े बोल्डर को हटाने का कार्य करने का निर्णय लिया है और कहा गया है कि बोल्डर तब हटाए जा सकते हैं जब नदी का जलस्तर कम होगा.
अगली आपदा से पहले जागना जरूरी