शिमला: विनय अग्रवाल नामक एक व्यक्ति पर आरोप था कि उसने इंटेलिजेंस ब्यूरो का फर्जी आईजी बनकर कारोबारियों से अवैध वसूली की है. उस पर सिरमौर जिला के कालाअंब सहित सोलन जिला के बद्दी व नालागढ़ में उद्योगपतियों से 1.41 करोड़ रुपए की अवैध वसूली का आरोप लगाया गया था. मामले में सीआईडी के शिमला स्थित भराड़ी थाना ने जांच की. विनय अग्रवाल ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने फर्जी आईजी बनकर उद्योगपतियों से अवैध वसूली के आरोपों को निराधार ठहराते हुए आरोपी विनय अग्रवाल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है.
आरोप के अनुसार विनय अग्रवाल ने फर्जी आईजी बनकर कालाअंब, बद्दी व नालागढ़ में उद्योगपतियों को कार्रवाई की धमकी देकर अवैध वसूली की. कुछ उद्योगपतियों ने इस बारे में पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद सीआईडी के भराड़ी स्थित थाने में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने विनय अग्रवाल की याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि इस मामले में गवाहों ने अपने सिविल विवाद को निपटाने के लिए पुलिस के समक्ष गवाही दी थी. इसके साथ ही अदालत ने प्रार्थी विनय के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया.
क्या है पूरा मामला ?
प्रार्थी पर आरोप था कि फर्जी आईजी बनकर उसने औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों से 1.41 करोड़ की अवैध वसूली की. आरोप था कि जिस समय वह औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करता था तो हरियाणा पुलिस के सशस्त्र कर्मचारी भी अवैध रूप से साथ रहते थे. ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि किसी को शक न हो. कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड को खंगालने के बाद पाया कि इस मामले में कोई शिकायत नहीं है और संबंधित एफआईआर एक स्रोत रिपोर्ट के आधार पर पंजीकृत की गई है. यहां तक कि अभियोजन पक्ष (पुलिस) ने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता (विनय अग्रवाल) ने खुद को केंद्र सरकार की एजेंसी आईबी के आईजी होने का नाटक करते हुए कथित तौर पर 1.41 करोड़ रुपये की रकम वसूल की थी. अभियोजन पक्ष का आरोप था कि इस रकम से उसने करोड़ों की कोठी व प्लॉट खरीदे.