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73 साल के रिटायर्ड बेलदार को अदालती आदेश के 8 साल बाद भी नहीं मिले तय वित्तीय लाभ, हाईकोर्ट ने रोका निदेशक का वेतन - HIMACHAL HIGH COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने कोर्ट के आदेश का अनुपालना न करने को लेकर शहरी विकास विभाग के निदेशक का वेतन रोकने के आदेश दिए हैं.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 8:23 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अनुपालना न होने पर राज्य सरकार के निदेशक, शहरी विकास विभाग का वेतन रोकने के आदेश पारित किये हैं. नगर परिषद सुंदरनगर में बेलदार के पद से रिटायर हुए 73 साल के बुजुर्ग लक्ष्मण को अदालती आदेश के 8 साल बाद भी शहरी विकास विभाग ने तय वित्तीय लाभ नहीं दिए. अभी भी निदेशक शहरी विकास विभाग अदालत से 6 हफ्ते का समय मांग रहे हैं. इस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने निदेशक का वेतन रोकने के आदेश पारित किए.

खंडपीठ ने लक्ष्मण द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि 10 अप्रैल 2017 को पारित आदेशों के बावजूद, निदेशक, शहरी विकास उन्हें लागू करने के लिए अभी भी छह सप्ताह के समय की मांग कर रहे हैं. लगभग आठ साल हो गए हैं, लेकिन उपरोक्त आदेश को अंतिम रूप मिलने के बावजूद प्रतिवादियों द्वारा उसे लागू नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता 73 वर्ष की आयु का एक सेवानिवृत्त बेलदार है. उसे अपने हक के लिए अनुपालना याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी नगर परिषद सुंदरनगर में दैनिक भोगी के तौर पर कार्य कर रहा था. जब उसे 8 साल के बाद नियमित नहीं किया गया तो उसने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की. तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को 8 वर्ष की दैनिक वेतन भोगी के तौर पर सेवा पूरी करने के पश्चात नियमित करने के आदेश पारित कर दिए. ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार याचिकाकर्ता को 1 जनवरी 2003 से नियमित तो कर दिया, लेकिन अन्य लाभों में जैसे नियमित सेवा का एरियर पेंशन व अन्य सेवानिवृति लाभों का भुगतान नहीं किया गया.

नगर परिषद सुंदरनगर की ओर से याचिकाकर्ता का मामला स्वीकृति के लिए निदेशक शहरी विकास को भेजा गया. मगर उनकी ओर से कोई कार्रवाई न होने पर कोर्ट को उनका वेतन रोकना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि जब तक वह संबंधित निर्णय की अनुपालना नहीं करता, तब तक उसे अपना वेतन लेने से रोका जाता है.

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